tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post7775121125320064331..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : एक कविता की व्यथासहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-60357947386606286372014-09-19T09:12:11.707+05:302014-09-19T09:12:11.707+05:30कविता की ही नहीं, इस तरह की हर विधा की भयानक दुर्ग...कविता की ही नहीं, इस तरह की हर विधा की भयानक दुर्गति हो जाती है कुछ आत्म-मुग्ध...तथाकथित महान कवियों की वजह से...| बहुत सार्थक रचना...| हार्दिक बधाई...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-91921485416568455132014-09-03T19:20:52.112+05:302014-09-03T19:20:52.112+05:30vyatha jab kavita ki ho....to katha ban jaati hai...vyatha jab kavita ki ho....to katha ban jaati hai...dard bhari katha.....sikhane ka hausla sajeev rakhti hai....abhvyakti nai sooch ke saath....bahut sunder....karbaddh naman ke saath badhai....Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-83840753195068818242014-08-31T16:00:58.602+05:302014-08-31T16:00:58.602+05:30कविता के दर्द की गहरी अभिव्यक्ति |
सादर
ज्योत्स्...कविता के दर्द की गहरी अभिव्यक्ति |<br /><br />सादर <br />ज्योत्स्ना शर्मा <br />ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-46410714044913546082014-08-31T15:33:17.919+05:302014-08-31T15:33:17.919+05:30सुंदर व्यंग्यात्मक रचना के लिए स्वराज जी बधाई .सुंदर व्यंग्यात्मक रचना के लिए स्वराज जी बधाई .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-3174038196037188152014-08-30T10:08:58.475+05:302014-08-30T10:08:58.475+05:30यह व्यंग्य कविता है ।यह नई कविता या मुक्तछन्द कवित...यह व्यंग्य कविता है ।यह नई कविता या मुक्तछन्द कविता का विरोध नहीं है , बल्कि उनका विरोध है जो कुछ भी ऊल-जलूल बातें कविता के नाम पर परोस रहे हैं । मुक्त छन्द में लय , यति गति, अलंकार , रस आदि होते ही हैं । जो कविता इन सबसे शून्य है ,कविता में निहित इस व्यंग्य पर ध्यान देना ज़रूरी है-<br />बिना खोंपड़ी का आदमी भी<br />कविता में ही दण्ड-बैठक लगाने लगा है ।<br />और<br />यति , गति से दूर दुर्गति झेल रही हूँ।<br />निराला की कविता में यति , गति , लय सब है -<br />1-वह तोड़ती पत्थर, 2- बादल राग, 3-कुत्ता भौंकने लगा ,4- जूही की कली आदि कविताएँ बहुत सुन्दर उदाहरण हैं। राम की शक्ति पूजा तो उनकी भाषा-सामर्थ्य और लय आदि का अनुपम उदाहारण है। अज्ञेय, भवानी प्रसाद मिश्र, धूमिल आदि की कविताएँ भी उत्कृष्ट काव्य का उदाहरण हैं।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-71783718725730869302014-08-29T21:59:56.038+05:302014-08-29T21:59:56.038+05:30स्वराज सिंह जी की कविता बहुत अच्छी है । लेकिन व्यक...स्वराज सिंह जी की कविता बहुत अच्छी है । लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरा ऐसा मानना है कि छंद मुक्त कवितायें, काव्य रचना के नवीन परिधान जैसी हैं अौर समय के साथ साथ नये प्रयोग करने मे कोई बुराई भी नहीं है ।<br /><br />वैसै देखा जाये तो छंद मुक्त कविताअों का दौर तो अादरणीय निराला जी के समय भी था अौर उनकी रचनाअों की उत्कृष्टता तो सर्वमान्य है । काव्य रचना तो उन्मुक्त नदी सी है जिसे बाँधा नहीं जा सकता अौर बाँधा भी नहीं जाना चाहिये । हाँ ये बात जरूर है कि हर बात मे मर्यादा की रेखा का मान जरूर रखा जाना चाहिये । <br /><br />सादर <br />मंजु मिश्रा Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-29688902525665436712014-08-29T17:36:20.406+05:302014-08-29T17:36:20.406+05:30स्वराज सिंह जी को खुश होना चाहिए कि उनकी कविता भी ...स्वराज सिंह जी को खुश होना चाहिए कि उनकी कविता भी अपनी व्यथा कथा खुद उसी अंदाज में बयां कर रही है जिस अंदाज से उसे अन्यथा परेशानी है। जो पहले होता था, जरूरी नहीं वही किया जाए। इतना जरूर है जो भी किया जाए विवेक सम्मत हो और समाज को स्वस्थ बनाए, रुग्ण नहीं। कविता के माध्यम से अपने विचारों के सम्प्रेषण के लिए स्वराज सिंह जी, आपको हार्दिक बधाई ! Subhash Chandra Lakherahttps://www.blogger.com/profile/12038169671073530833noreply@blogger.com