tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post1752139070969482297..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : ताश का घरसहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-75696589184844224572011-09-10T09:18:37.758+05:302011-09-10T09:18:37.758+05:30bahut sunder rachna hai aaj ke sandarbh mebahut sunder rachna hai aaj ke sandarbh meAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-1446496769383568882011-08-30T16:30:32.597+05:302011-08-30T16:30:32.597+05:30सत्यता से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता ।समयानुसार सटीक क...सत्यता से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता ।समयानुसार सटीक कविता।<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-49434599194398731512011-08-29T11:00:14.393+05:302011-08-29T11:00:14.393+05:30बहुत सार्थक रचना ..बहुत सार्थक रचना ..Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-60332114640606795062011-08-28T21:30:55.811+05:302011-08-28T21:30:55.811+05:30डा. रमा द्विवेदी
जिसके काँधे पर चढ़ ,मिली थी कुर...डा. रमा द्विवेदी <br /><br />जिसके काँधे पर चढ़ ,मिली थी कुर्सियाँ<br />उसकी पहचान से ही , मुकर जाएगी ।<br />किश्ती में छेद और नादान नाखुदा <br />तूफ़ान से गुज़री तो गुज़र जाएगी ।<br />समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !<br />ये जनता भेड़ नहीं जो डर जाएगी ।<br /><br /><br /> बहुत सटीक और सार्थक रचना ....बहुत बहुत शुभकामनाएं .......ramadwivedihttp://ramadwivedi.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-77072423077324066382011-08-27T18:21:45.736+05:302011-08-27T18:21:45.736+05:30भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है
पत्थरों को बा...भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है<br />पत्थरों को बाँध सैलाब तर जाएगी <br /><br />जिसके काँधे पर चढ़ ,मिली थी कुर्सियाँ<br />उसकी पहचान से ही , मुकर जाएगी ।<br /><br />bahut badhiya... wakai samkalin paripreksh me sarvtha uchit baat kahi aapne bahu khubsurti se.Ashuhttps://www.blogger.com/profile/09430560397914957578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-50243929373190761852011-08-27T17:02:17.832+05:302011-08-27T17:02:17.832+05:30समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !
ये जनता भेड़ नहीं ...समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !<br />ये जनता भेड़ नहीं जो डर जाएगी ।<br /><br />बहुत सही कहा आपने? मौजूदा हालात पर बहुत सटीक और असरदार रचना !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-15172276364504228392011-08-27T14:47:49.873+05:302011-08-27T14:47:49.873+05:30सबको सम्मति दे भगवान।सबको सम्मति दे भगवान।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-70664672405104046442011-08-26T17:17:34.076+05:302011-08-26T17:17:34.076+05:30yatharth ka sateek chitran, aaj ke haalaat aise hi...yatharth ka sateek chitran, aaj ke haalaat aise hin hai, ab na chete to kab? bahut sahi likha hai...<br />ताश के घर-सी सत्ता, बिखर जाएगी<br />नशे में चूर हो गई ,किधर जाएगी ।<br />भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है<br />पत्थरों को बाँध सैलाब तर जाएगी ।<br />देवालय में छुपकर नहीं दाग़ी बचें<br />आग भड़केगी जब राख कर जाएगी ।<br />bahut shubhkaamnaayen.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-42707342200499909072011-08-26T12:21:18.777+05:302011-08-26T12:21:18.777+05:30जिसके काँधे पर चढ़ ,मिली थी कुर्सियाँ
उसकी पहचान स...जिसके काँधे पर चढ़ ,मिली थी कुर्सियाँ<br />उसकी पहचान से ही , मुकर जाएगी ।<br />Achcha likha hai.<br />pavitra agarwalpavitra agrawalhttp://laghu-katha.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-56454080132930239252011-08-26T11:59:10.983+05:302011-08-26T11:59:10.983+05:30आजादी के चौंसठ सालों बाद भी यह लिखना पड़ रहा है ,य...आजादी के चौंसठ सालों बाद भी यह लिखना पड़ रहा है ,यह बहुत दुखद स्थिति है|काश! आपका यह संदेश जन-जन तक पहुँचे|Ravi Ranjanhttps://www.blogger.com/profile/16539442016037616053noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-83113061927669992192011-08-26T08:50:30.221+05:302011-08-26T08:50:30.221+05:30किश्ती में छेद और नादान नाखुदा
तूफ़ान से गुज़री तो...किश्ती में छेद और नादान नाखुदा<br />तूफ़ान से गुज़री तो गुज़र जाएगी ।<br />समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !<br />ये जनता भेड़ नहीं जो डर जाएगी ।<br />बहुत सही है...जनता भी अब विरोध करने को तैयार लग रही है, सो बेहतर है कि अब भ्रष्ट सत्ताधारी अपनी ख़ैर मनाएँ...।<br />एक सटीक रचना...।<br />सादर,<br />प्रियंकाप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-45253883942770386232011-08-26T08:44:01.985+05:302011-08-26T08:44:01.985+05:30सही कहा है ....आजकल जिसका जितना वश चलता है उतनी चो...सही कहा है ....आजकल जिसका जितना वश चलता है उतनी चोरी सभी करते हैं लेकिन जो पकड़ा गया वो चोर कहलाता है .....<br />कोई भी दूध धुला नहीं है ..............<br />भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है .........<br />एकदम सटीक लिखा है <br />सादर<br />हरदीपShabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-28386570051724227812011-08-26T07:52:56.224+05:302011-08-26T07:52:56.224+05:30कल शनिवार २७-०८-११ को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी...कल शनिवार २७-०८-११ को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुराणी हलचल पर है ...कृपया अवश्य पधारें और अपने सुझाव भी दें |आभार.Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-53237577040067789072011-08-26T05:49:37.944+05:302011-08-26T05:49:37.944+05:30किश्ती में छेद और नादान नाखुदा
तूफ़ान से गुज़री तो...किश्ती में छेद और नादान नाखुदा<br />तूफ़ान से गुज़री तो गुज़र जाएगी ।<br /><br />eakdm sahi kaha bhrast har koi hai bas dusron men dosh dekhte hain khub men koi dosh nahi najar aata...bahut khub kahi aapne ..ye panktiyan bahut prbhavit karti hain..Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-19005077567045192712011-08-26T00:06:57.337+05:302011-08-26T00:06:57.337+05:30आदरणीय रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी
सादर सस्न...<b><i>आदरणीय रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी </i></b> <br />सादर सस्नेहाभिवादन !<br /> प्रणाम !<br /><br />ताज़ा हालात पर अच्छी ग़ज़ल लिखी है …<br /><b> समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !<br />ये जनता भेड़ नहीं जो डर जाएगी </b> <br />वाह ! क्या लिखा है !! <b> </b> <br /><br />और यह शे'र … माशाअल्लाह ! <br /><b>देवालय में छुपकर नहीं दाग़ी बचें<br />आग भड़केगी जब राख कर जाएगी </b> <br />जैसे कमीने मुरीद , वैसे ही उनके 'देवालय'<br />अच्छा तमाचा मारा है आपने … बधाई है ! <br /><br /><br />मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है , <br /> <b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है <br />मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है <br /><br />वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर <br />मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है<br /><br />मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे<br />घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है<br /></a></b> <br />पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)<br /><br />विलंब से ही सही…<br />♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-61652436058750969682011-08-25T23:49:08.512+05:302011-08-25T23:49:08.512+05:30भ्रष्ट होने का गुमान तो है ही साथ ही कुर्सी का भ...भ्रष्ट होने का गुमान तो है ही साथ ही कुर्सी का भी है ... अच्छी प्रस्तुति ... कृपया पहली टिप्पणी पोस्ट न करें .. उसमें वर्तनी अशुद्धि हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-43265423872333940512011-08-25T23:25:30.109+05:302011-08-25T23:25:30.109+05:30समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !
ये जनता भेड़ नहीं ...समझो वक़्त की नज़ाकत अए रहबरो !<br />ये जनता भेड़ नहीं जो डर जाएगी ।<br />देवालय में छुपकर नहीं दाग़ी बचें<br />आग भड़केगी जब राख कर जाएगी ।<br /><br />अभी के सन्दर्भ में बिल्कुल सही लिखा है आपने सर|<br />अच्छी रचना के लिए धन्यवाद|<br />सादर<br />ऋताऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-87885268263125054252011-08-25T21:20:20.008+05:302011-08-25T21:20:20.008+05:30.....भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है ....
एक........भ्रष्ट होने का उन्हें कितना गुमान है ....<br /><br />एकदम सच बात है, आज सत्ता के मद में चूर लोगों को अपने भ्रष्ट होने पर गुमान है. जो जितना दागी वो उतना महान ! समस्या तो यह है कि आज हर कोई बहती गंगा में हाथ धो रहा है जिसे देखो बस भ्रष्टाचार की बात कर रहा है लेकिन ख़ुद का गरेबान कोई नहीं देखता. एक पार्टी दूसरी पार्टी को ख़ुद से बड़ा भ्रष्टाचारी बता रही है, लेकिन इन्हें कौन समझाए कि भ्रष्टाचार छोटा या बड़ा नहीं होता बस भ्रष्टाचार होता है कर सको तो समूल नष्ट करो इधर उधर की राजनीति मत करो.<br /><br /><br />आज के परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक रचना... <br /><br />सादर<br /><br />मंजुAnonymousnoreply@blogger.com