tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post1250139058804712464..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : मेरा पहाड़ी गाँव !सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-39077949655463879902013-07-26T21:03:21.280+05:302013-07-26T21:03:21.280+05:30great m touchedgreat m touchedSarswati Prakash Satihttps://www.blogger.com/profile/06317252211662835269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-23044521923715742382013-07-24T00:59:27.763+05:302013-07-24T00:59:27.763+05:30 दरअसल, मेरा गाँव बूढ़ा हो गया है
उसकी मौत की ख... दरअसल, मेरा गाँव बूढ़ा हो गया है <br />उसकी मौत की खबर आएगी <br />यह तो मैं जानता हूँ ;<br />लेकिन कब ?<br />इतना नहीं जानता<br />दरअसल, मैं भी बूढ़ा हो चला हूँ <br />मैं कैसे बता सकता हूँ - पहले कौन मरेगा ?<br />मैं या मेरा गाँव ? खैर, खबर मेरी मिले या मेरे गाँव की <br />इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा <br />इस देश को न मेरी जरूरत है न मेरे गाँव की !<br />uf kitni sahi aur marmik kavita hai bahut hiiiiiiiiiiiiiiiiikhoob<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-17653127055541215362013-07-14T11:53:01.194+05:302013-07-14T11:53:01.194+05:30बहुत मार्मिक कविता है। पढ़ते-पढ़ते कवि की तरह हमें...बहुत मार्मिक कविता है। पढ़ते-पढ़ते कवि की तरह हमें भी अपना गांव याद आने लगता है जो आज हूबहू कवि के गावं की तरह दिखाई देता है। पहाड़ के तमाम गांवों का यही हाल है, यहां तक कि कई गांव कि यादें मन में संजो कर उसके सभी बाशिंदे नीचे तराई और मैदानों की ओर पलायन कर गए हैं। लेकिन हां, ऐसे ही मोहीले पहाड़ों में कई जगह कुकुरमुत्तों की तरह लाल, हरी छतों वाली आरामगाहें और रिजार्ट उभर आए हैं। वे जिन की जमीनों पर खड़े हैं, उनमें कल के वे जमीन मालिक चौकीदारी या मजदूरी कर रहे हैं। पैसा पहाड़ की जमीने निगल रहा है। मेरे गांव में भी एक बंगले और उसके चारों ओर की तमाम जमीन के मालिक परिवार का एक सदस्य आज नए करोड़पति खरीददार के यहां पांच हजार रूपए महीने पर चौकीदारी कर रहा है। इस तरह आज धीरे-धीरे हमारे गांव स्वप्न और स्मृति बनते जा रहे हैं...(देवेंद्र मेवाड़ी)Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12925611358358292760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-33520798148220227692013-07-13T23:55:18.743+05:302013-07-13T23:55:18.743+05:30ह्रदयस्पर्शी सुन्दर रचना....हार्दिक बधाई!ह्रदयस्पर्शी सुन्दर रचना....हार्दिक बधाई!Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-49013338695802984522013-07-13T18:36:08.172+05:302013-07-13T18:36:08.172+05:30मैं सर्वप्रथम काम्बोज जी को धन्यवाद ज्ञापित करना च...मैं सर्वप्रथम काम्बोज जी को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ क्योंकि उन्होने जिस सहज भाव से मेरी इस कविता की भूमिका बांधी है, वह व्यक्ति विशेष को इस कविता को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। मैं साथ ही प्रवीण जी, पुष्पा जी, मंजुल जी, माहेश्वरी जी, अनीता जी, भावना जी, सरस्वती जी, मंजु जी, प्रियंका जी, सुशीला जी एवं ज्योत्स्ना जी के प्रेरक और भावात्मक शब्दों के लिए दिल से आभारी हूं। <br />---------------------------------------<br />- सुभाष लखेड़ा<br />Subhash Chandra Lakherahttps://www.blogger.com/profile/12038169671073530833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-44899308176904301272013-07-13T16:39:51.779+05:302013-07-13T16:39:51.779+05:30यांत्रिक और भावना विहीन प्रगति की बहुत भाव पूर्ण अ...यांत्रिक और भावना विहीन प्रगति की बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ...<br /><br />सादर नमन के साथ <br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-43511316095189109262013-07-13T11:01:37.766+05:302013-07-13T11:01:37.766+05:30मैं कैसे बता सकता हूँ - पहले कौन मरेगा ?
मैं या मे...मैं कैसे बता सकता हूँ - पहले कौन मरेगा ?<br />मैं या मेरा गाँव ? खैर, खबर मेरी मिले या मेरे गाँव की <br />इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा <br />इस देश को न मेरी जरूरत है न मेरे गाँव की !<br /><br />गाँव की बर्बादी और बदहाली की प्रभावशाली और मार्मिक अभिव्यक्ति ! गाँव सिमट रहे हैं और सिमट रहे हैं रिश्ते.....sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-5266400463549518542013-07-13T10:37:31.330+05:302013-07-13T10:37:31.330+05:30प्रगतिशीलता की दौड़ में लगे आज के हमारे गाँवों की ...प्रगतिशीलता की दौड़ में लगे आज के हमारे गाँवों की वास्तविक स्थिति का बड़ा सटीक और मार्मिक चित्रण किया गया है...| अंत बहुत सुन्दर है...| एक खूबसूरत और भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई...|<br />प्रियंका गुप्ता प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-24349741490792418742013-07-13T10:13:23.406+05:302013-07-13T10:13:23.406+05:30दरअसल, मेरा गाँव बूढ़ा हो गया है
उसकी मौत की खब...दरअसल, मेरा गाँव बूढ़ा हो गया है <br />उसकी मौत की खबर आएगी <br />यह तो मैं जानता हूँ ;<br />लेकिन कब ?<br />इतना नहीं जानता<br />दरअसल, मैं भी बूढ़ा हो चला हूँ <br /><br />मार्मिक रचना , वाकई आदमी की कोई कीमत ही नहीं रही . <br /><br />बधाई .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-42849241290568540692013-07-13T08:50:08.049+05:302013-07-13T08:50:08.049+05:30Bahut hee sacchi-acchi kavita badlete parivesh ko ...Bahut hee sacchi-acchi kavita badlete parivesh ko ujagar karti <br />दरअसल, मेरा गाँव बूढ़ा हो गया है <br />उसकी मौत की खबर आएगी <br />यह तो मैं जानता हूँ ;<br />लेकिन कब ?<br />इतना नहीं जानता......Bahut khubsurat...<br />Dr Saraswati Mathur<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-39004718948482479362013-07-13T05:12:14.165+05:302013-07-13T05:12:14.165+05:30रोजगार के लिए प्रवास की पीड़ा को झेलते, मरते - उ...रोजगार के लिए प्रवास की पीड़ा को झेलते, मरते - उजड़ते गाँव के सन्नाटे की चीख को हम अपने बहरे कानो से कविता के रूप में सुन रहे हैं| एक एक शब्द खंजर की तरह मन में गहरे उतरकर अनगिनत प्रश्न कर रहा है ... अब गोबर माटी से लिपा वो खुला आँगन कहाँ जहाँ सब मिलकर अपना सुख दुःख सांझा करते थे ??? अब तो आधुनिकता बस एकांत कोना अपना पर्सनल स्पेस खोजती है |<br />सुभाषजी मन को झकझोरने के लिए बधाई |Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-54920787101748476582013-07-12T22:01:43.723+05:302013-07-12T22:01:43.723+05:30मैं कैसे बता सकता हूँ - पहले कौन मरेगा ?
मैं या मे...मैं कैसे बता सकता हूँ - पहले कौन मरेगा ?<br />मैं या मेरा गाँव ? खैर, खबर मेरी मिले या मेरे गाँव की <br />इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा <br />इस देश को न मेरी जरूरत है न मेरे गाँव की !<br /><br />Bahut khubsuratDr.Anita Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/03776096643896372764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-6631781477497904702013-07-12T21:46:11.138+05:302013-07-12T21:46:11.138+05:30बहुत बढ़िया..बहुत बढ़िया..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30503269878183498362013-07-12T21:18:23.400+05:302013-07-12T21:18:23.400+05:30समसामयिक मर्मस्पर्शी कविता ,गाँव जिसे आज की पीढ़ी ...समसामयिक मर्मस्पर्शी कविता ,गाँव जिसे आज की पीढ़ी भूल रही है प्रशन उठती कविता . बधाई .मंजुल भटनागर https://www.blogger.com/profile/08251331220118304121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-47296135371363372462013-07-12T20:11:39.565+05:302013-07-12T20:11:39.565+05:30sbhash ji apki kavita ujade gavon ka drishya u...sbhash ji apki kavita ujade gavon ka drishya ujagarkar kar rahi hai.<br /><br /><br />pushpa mehra <br />12.7.13 <br /> Pushpa mehrahttps://www.blogger.com/profile/03375356603929430087noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-84532453234548108112013-07-12T18:55:21.222+05:302013-07-12T18:55:21.222+05:30प्रगति के इस महा धुंध में न जाने हमारे गाँव कहाँ ख...प्रगति के इस महा धुंध में न जाने हमारे गाँव कहाँ खो गये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com