पथ के साथी

Saturday, October 13, 2018

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कृष्णा वर्मा
1
कैसे कह दूँ कि
थक चुका हूँ ज़िंदगी से
न जाने
किस-किस का हौसला हूँ मैं।
2
चित्र :अक्षय अमेरिया 
तुम्हारे मुख मंडल पर
देख कर खुशी की तरंगें
पकड़ने लगती है रफ़्तार
मेरी जीवन कश्ती।
4
सीख भरे शब्द -बीजों से
उगाती है माँ
नन्हे हृदयों में
संस्कारों की खेती।
5
प्रेम को मिला था सुकून
जिस दिन बाँध ली थीं उसने
अपने पल्लू के छोर से
मेरे घर की चाबियाँ।
6
उम्मीद के पंछी को
लग जाएँगे हौसलों के पंख
जो मुस्कुराता रहा तुम्हारा स्पंदन
मेरी साँसों के सफ़र में।
7
उम्र भले जितनी चाहे बढ़ा दे
बस रखना ध्यान
बालक- सा रहे मन और
होने न पाए बूढ़ी कभी
मेरी मासूमियत की मुस्कान।
8
कलम की नोक
तपे शब्द लिखकर
पिघला देती है
पीड़ा का मौन।
9
मेघ निनादित
बरखा लहराई
यादों की कश्तियाँ
नैनों में तैर आईं।
10
मेघों की लाडली
बरसना सँभलके
सबके लिए तेरा आना
नहीं होता सुहाना
बहुतों की छत को तो
देना पड़ जाता है इम्तहान।
11
 दिनों-दिन उन्नति की
बढ़ती जाती रफ़्तार
दिखाए अजूबे
विकास की नैया में
बैठ लोग डूबे।
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