पथ के साथी

Wednesday, August 15, 2018

835-तिरंगे की शान रहे/शत शत प्रणाम


1-गुंजन अग्रवाल

नील  गगन   में   सदा  तिरंगे   की  लहराती  शान   रहे।
हरियाली   शौर्य  शांति  की  कायम  ये  पहचान  रहे।

बलिदानों  को  तत्पर  रहती   वीर  सैनिकों  की   टोली।
चीर  दुश्मनों  के  सीने  को    खेलें  जो  खूँ  की   होली।
शान  सलामत  रखें  वतन की,  भले नही  तन जान रहे।
हरियाली व शौर्य शांति की.............

आन  तिरंगे  की   रखने  को   खाते   सीने  पर   गोली।
हर -हर, हर-हर महादेव  की अंतिम  साँसों  तक बोली।
जय-जय जय-जय मात भारती का गुंजित गुणगान रहे।
हरियाली व शौर्य शांति की.............

अलख  जगाएँ  देशप्रेम  की धड़कें बनकर धड़कन ये।
माथे   का   बनता   है   चन्दन  चूड़ी  बिंदी  कंगन   ये।
नूर  सलामत  रहे   सदा  ही  भारत  का  सम्मान   रहे।
हरियाली व शौर्य शांति की.............


-०-

2-शत शत प्रणाम
 शशि पाधा

      ****
पर्वतों से उन्नत हौंसले जिनके
चट्टानों से दृढ़ संकल्प जिनके
भारत के उन  वीर जवानों को
जन मानस का शत-शत प्रणाम 

दुर्गम पर्वतों पर दौड़ते चरण इनके
बर्फीली हवाओं को चीरते बदन इनके
दुश्मन की ताक में लगे नयन इनके
देश रक्षा ही जीवन के प्रण जिनके
भारत के उन वीर जवानों को
जन मानस का शत –शत प्रणाम 

तिरंगे की शान में है शान इनकी
सजग प्रहरी की है पहचान इनकी
युद्ध भूमि ही कर्मभूमि जिनकी
मातृभूमि ही माँ की गोद जिनकी
भारत के उन वीर जवानों को
जन मानस का शत –शत प्रणाम 

रक्त कण से सरहदें सींचते जाते
रणघोष से मंजिलें जीतते जाते
हर गोली को हँसते झेलते जाते
दुश्मन के सीने भेदते जाते

  भारत के उन वीर सपूतों को
जन मानस का शत शत प्रणाम 

ऐ सरहदों पर लड़ने वाले वीरो!
माँ की लाज तुम्हारे हाथ है
हम याद दिलाएँ फिर तुमको
पूरा यह देश तुम्हारे साथ है
      ऐ सीमाओं के प्रहरी! तुमको
      जन मानस का शत शत प्रणाम 

-०-