पथ के साथी

Monday, August 27, 2018

639-टैग टी.वी-नन्ही कली



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हाइकु-चर्चा


-०-
2-नन्ही कली
कान्ता बेदी अरोड़ा 


सतरंगी सपने सँजोती 
पुष्पित पल्लवित होती
नन्ही-सी कली 
कुचले जाने की आशंका से सहम उठी
सुनकर तीव्र होता कोलाहल
'कुचल डालो अन्दर ही
क्योंकि  नहीं होगी इससे वंश वृद्धि' 
सुनकर यह  सब माँ का माथा चकराया
पैदा होने से पहले ही डसने आया
लड़का ही चाहिए रूपी नाग ने फन फैलाया

खुद को सँभालते हुए माँ मुझे सहेज रही थी
परन्तु पापा - दादी की सोच
सीमित दहेज तक रही थी
माँ ने हिम्मत जुटाकर साहस दिखलाया
"कुछ न होने दूँगी अपनी बेटी को"
कहकर अपना ममत्व लुटाया
नारी हूँ नारीत्व का दायित्व निभाऊँगी
लाकर तुम्हें इस दुनिया में
इतना काबिल बनाऊँगी
जो सोचते हैं तुम्हें गर्भ में दफन करने की
उनको भी कल होगा तुम पर नाज़
नन्ही-सी कली पर नहीं गिरने दूँगी कोई गाज

आओ मिलकर ऐसा समाज बनाएँ
जहाँ बेटियाँ भी बेटों -सा सम्मान पाएँ
आओ एक नया समाज बनाएँ।
-०--
कांता बेदी अरोड़ा
शिक्षा: एम. ए., एम. एड., एम. फिल
पता: बी 6/ 41,सेक्टर 15, रोहिणी, दिल्ली 89
मेल आई डी : Kannubedi@gmail.com
***



6 comments:

  1. TAG tv पर अपने भारतीय लेखकों को देखना-सुनना रोम-रोम में आनंद भर गया और उस पर हिन्दी साहित्य की महान विभूति हिमांशु जी को सुनना हमारे सौभाग्य में चार चाँद लगा गया है!हिमांशु जी के सात्विक साथ ही साहित्यिक तेज ने बहुत लोगों को तेजोमय किया है!आपका हर विधा पर कड़ा परिश्रम अनुकरणीय है!
    शैलजा जी आपके साहित्य के रंग अनूठे है!ये रंग हमेशा निखरते रहें!आपको तथा आपकी टीम को अनगिन शुभकामनाएँ !!!

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  2. कान्ता जी,आपकी कविता बेटियों के प्रति स्नेह,कर्तव्य को उजागर करती हुई सकरात्मकता की ओर ले जाती है. ...
    बहुत-बहुत बधाई आपको सुन्दर कविता के लिए !

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  3. बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच रखती सुंदर कविता।बधाई

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  4. हिन्दी साहित्य को समर्पित स्तुत्य प्रयास भैया जी ! सुन्दर भावपूर्ण सृजन कान्ता जी !
    हार्दिक बधाई !

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  5. सार्थक हाइकु परिचर्चा।
    कांता जी को भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।

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  6. टैग टीवी पर यह चर्चा बेहद सार्थक हुई , बधाई आप सभी को...|
    कांता जी, आपकी रचना बहुत पसंद आई...मेरी बधाई...|

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