पथ के साथी

Wednesday, March 21, 2018

809-काव्य -भूमिकाएँ


एक पाठक के तौर पर मैंने कुछ पुस्तकों की भूमिकाएँ लिखी हैं। उनके लिंक नीचे दिए गए हैं।   आशा करता हूँ कि जब भी समय मिले , ज़रूर पढ़ेंगे ताकि सृजन के समय जो कुछ अच्छा हो उसे ग्रहण किया जा सके। मेरे ये लेख  उबाऊ हो सकते हैं, फिर भी पढ़िएगा-  


3 comments:

  1. तीनों ही समीक्षाएँ बेहद सार्थक है | 'गागर में सागर' सदृश्य कम शब्दों में भी बेहद खूबसूरती से अपनी बात कही है आपने |
    इन समीक्षाओं को पढ़वाने के लिए आभार और ऐसे सूक्ष्म विवेचन के लिए हार्दिक बधाई...|

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  2. आपका सृजन हमारी पाठशाला है , हृदय से आभार आदरणीय !

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  3. मंजु जी, कविता जी ,ज्योत्स्ना जी ,आदरणीय भैया जी आप सबको हार्दिक बधाई ।🙏🙏🙏🙏 जानकारी वर्धक समीक्षाएँ 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹

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