पथ के साथी

Sunday, April 9, 2017

725

ताँका :डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
घिरी घटाएँ
हो गया था आकाश
गहरा काला
संकल्पों के सूरज
देते रहे उजाला ।
2
पवन संग
नाच उठीं पत्तियाँ
कली मुस्काई
सुनहरा झूमर
पहन कौन आई ?
3
डोरी से बँधी
पतंग हूँ मैं प्यारी
ऊँचाइयों पे
दिखो न दिखो तुम
पर लीला तुम्हारी ।
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