पथ के साथी

Tuesday, March 14, 2017

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1-जीवन-सरिता के कूल
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’


जीवन-सरिता के कूल हैं दो,
सुख हँसना है,दुःख रोना है!
अह मिले, तो माटी  मानो
विनय  मिले  तो  सोना  है!!

   सुख आता, मुस्कान सजाता,
       दुःख आता, तो आँसू लाए!
          उद्गम से संगम तक जीवन,
             दोनों के संग चलता जाए!!

सुख में उड़ना,दुःख में गिरना,
जीवन नियति - खिलौना है!
अह  मिले, तो माटी  मानो
विनय  मिले   तो   सोना  है!!

    जो भी पाया,बाँटे नदिया,
        खुद की प्यास वो कहाँ मिटाती!
           धरती के कण-कण को सींचे,
               समृद्धि के सदा सुमन खिलाती!!

जीवन तो है हर  पल  देना
तप  कर  कुंदन  होना है!
अह मिले, तो माटी  मानो
विनय  मिले  तो सोना है!!

   हम भी सरिता हो जाएँ तो,
       जग की प्यास बुझा पाएँगे!
          जीवन के उपवन में तब ही,
               सुन्दर सुमन उगा पाएँगे!!

जीवन है क्षण भंगुर पगले!
इक दिन इसको खोना है!
अह मिले, तो माटी  मानो
विनय  मिले  तो सोना है!!
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  डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
  पूर्व प्राचार्य,  74/3,न्यू नेहरू नगर,
  रूड़की-247667
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डॉ.पूर्णिमा राय
भरोसा
1
भरोसा मुझे
गिरने नहीं देंगी
बाँहें पिता की!!
हवा से बातें
करने लगी मुन्नी
खिलखिलाती!!
2
सपनों में जान
आत्मविश्वास दिखे
अंतर्मन में !!
मंजिल पास
हो जाती है दूर
टूटे भरोसा!!
3
नग चमके
ककड़ी- सी उंगली
खिली किस्मत!!
खोया नगीना
अंध भ्रमजाल से
चिन्तित मन!!

 4
मकड़ी आस
दिखाती आत्मबल 
श्रम में चूर!!
नशे में धुत्
युवा लड़खड़ाते
आलस्य में!!
5
उदीप्त भाग्य
सिरमौर बना वे
जीते मन को!!
चिन्ता की चक्की
भँवर समुद्र का 
पिसे भरोसा !!
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