पथ के साथी

Sunday, January 22, 2017

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1-डॉ.भावना कुँअर
1
लेकर वे फिरते रहे ,दोनों हाथों पीर।
हमने खुद ही माँग ली, बनकर मस्त फकीर।
2
गर- गर तुम जो करो,रखना इतना ध्यान
देना ना धोखा कभी, जाए चाहे जान।
3
मनवा मेरा हो रहा, पल -पल   आज अधीर
होगा जो पल का मिलन,मिट जाएगी पीर।
4
मैं-मैं करता फिर रहा,बनके तू अनजान
जप ले दो पल राम को,ले जीवन का ज्ञान।
5
तू तो माया में पड़ा,भूला है सब काज
भक्ति करो उस राम की ,सुधरे कल औ आज।
6
प्रेम नदी है आग की , खेल न उल्टे खेल।
बाहर या भीतर रहे,हो जाएगा फेल।
7
विहग बनाए घोंसला,कुछ तो उससे सीख
 हौंसला कर ले बुलंद,माँगे है क्यूँ भीख?
8
खालीपन कैसे भरूँ, करूँ कौन उपचार
कल तक मेरा जो रहा,आज पराया प्यार।
9
पीर भरा दरिया मिला,हो ना पाता पार
जाने कितने कर लिये,नये-नये उपचार।
10
काहे बैठे हो पिया,हमसे इतनी दूर
किसने डाली बेड़ियाँ, क्यों इतने  मज़बूर?
11
मन पंछी उड़ ही चला,आज पिया के गाँव
आँचल में  भर ली  सभी,मधुर प्रेम की छाँव।
12
जो तुम लेकर चल पड़े, प्रेम पगी पतवार ।
करना होगा पार भी,भले तेज़ हो धार॥
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2-ताबीज़--ज्योत्स्ना प्रदीप

उसनें खरीद लिया था
एक तावीज़ की तरह उसको
एक धागे के साथ
गले में बाँधे  भी रक्खा
कुछ समय
पर.....
कुछ मुरादें
पूरी होनें के बाद
सजा दिया
किसी कमरे के आले में
उसी एक धागे  के साथ!!!
-0-
3-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
जिनको भुला न पाते हैं
वे जनमों के नाते हैं
ख़ुद को हम भूलें  पलभर
 उनको गले  लगाते हैं।
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