पथ के साथी

Friday, December 30, 2016

700

डा०कविता भट्ट

आजीवन पिया को समर्थन लिखूँगी
प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी l

निज आलिंगन से जिसने जीवन सँवारा
प्रेम से तृप्त करके अतृप्त मन को दुलारा l

उसे आशाओं स्वप्नों का दर्पण लिखूँगी
प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी l

प्रणय निवेदन उसका था वो हमारा
न मुखर वासना थी; बस प्रेम प्यारा l

उससे जीवन उजियार हर क्षण लिखूँगी
प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी l

न दिशा थी, न दशा थी जब संघर्ष हारा
विकट-संकट से उसने हमको उस पल उबारा l

उसमें अपनी श्रद्धा का कण-कण लिखूँगी
प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी l

कौन कहता है जग में प्रेम जल है खारा
मुझे तो जग में सदा प्रेम ने ही उबारा

इस जल पे जीवन ये अर्पण लिखूँगी
प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी l
-0-
दर्शन शास्त्र विभाग
हे०न० ब० गढ़वाल विश्वविद्यालय
श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड