पथ के साथी

Sunday, June 26, 2016

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    हम सबकी ओर से आदरणीय डॉ अरुण जी को  जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ !
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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   आज जन्म दिवस पर प्रभु को समर्पित यह भाव-गीत आप सबको भी इस कामना से अर्पित है कि जीवन के 75 ग्रीष्म,शरद, और पावस देखकर आज 76वें वर्ष में प्रवेश करूँ ,तो आप सबकी अनंत मंगल कामनाओं का वरदान मेरे साथ हो,जिससे जीवन के शेष समय को सार्थक बना सकूँ। आज उन सभी से हार्दिक क्षमा चाहता हूँ,जिन्हें मेरे कारण जाने या अनजाने कोई कष्ट हुआ हो।
आपका अपना,
डॉ अरुण

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      तुम्हे समर्पित है यह जीवन

मेरे प्रभु!लो शरण में मुझको,
तुम्हे समर्पित है यह जीवन।

     जब आया था मैं इस जग में,
         चादर तुम ने ही  दी थी पावन।
     इसके बल पर सहन किए हैं,
          धूप-छाँव,पतझर अरु सावन।।

खूब प्रसन्न हुआ हूँ भगवन,
जब भी आए खुशियों के घन।

       जग में रह कर खूब किए हैं,
             राग-द्वेष के नाटक निसिदिन।
       कभी अहम ने घेरा मुझ को,
             कभी विनय में बीते पलछिन।।

जब भी तन को तृप्ति मिली,
चहक उठा था यह मेरा मन।

        चादर में हैं दाग प्रभु। अब,
              आना है अब पास तुम्हारे।
        कुछ ऐसा कर देना प्रभु जी,
               पा जाऊँ  मैं चरण तुम्हारे।।

सब कुछ तुमने दिया मुझे नित,
तुम्हे समर्पित हैं तन,मन,धन।
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डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण
पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरू नगर,
रुड़की-247667