पथ के साथी

Monday, December 12, 2016

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यादें
प्रियंका गुप्ता
1
यादें
कभी यूँ भी होती हैं
मानो,
किसी सर्द रात में
बर्फ़ हो रहे बदन पर
कोई चुपके से
एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए ।
2
यादें
कभी दर्द होती हैं
और कभी
किसी ताज़ा घाव पर
रखा कोई ठंडा मरहम ।
3
यादें
मानो,
कभी जल्दबाज़ी में
सर्र से छूटती कोई ट्रेन
भाग के पकड़ो
वरना फिर
जाने कब पकड़ पाएँ ?
4
यादें-
कभी सर्दी में 
बदन पर पड़ा बर्फ़ीला पानी;
या फिर
किसी हड़बड़ी में
जल गई उँगली पर
उगा एक फफोला;
तकलीफ तो होती है-
है न ?
-0-

19 comments:

  1. Bahut bhavpun komal lagin aapki yaden meri hardik badhai...
    Yaade
    Jinhen kabhi kabhi
    Bas odhkar so jane ko dil chahata hai...

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    1. क्या बात है भावना जी...! बहुत बहुत शुक्रिया आपका...|

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  2. यादों का गुलदस्ता है यहाँ और सभी फूल महके -महके | बधाई |

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  3. आदरणीय पूर्णिमा जी, सुनीता जी और शशि जी...आपकी प्यारी प्रतिक्रियाओं के लिए दिल से आभार...|

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  4. किसी सर्द रात में
    बर्फ़ हो रहे बदन पर
    कोई चुपके से
    एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए........... बहुत, बहुत सुंदर प्रियंका जी, बधाई।

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  5. बहुत सुंदर,भावपूर्ण रचना प्रियंकाजी। बधाई

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  6. बहुत सुन्दर लगी यादें अनुभव से गुजरे पलों को कोई कोई ही रूप दे पाता है ।प्रियंका जी चौथी याद ने बहुत प्रभावित किया । शुभकामनायें और बधाई ।

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  7. भावपूर्ण रचना, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....प्रियंका जी बहुत बधाई!

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  8. ख़ूबसूरत यादों का सिलसिला बनाया है ... बहुत ख़ूब ...

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  9. यादों के सुन्दर रूपों की अभिव्यक्ति हेतु बधाई |
    पुष्पा मेहरा

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  10. यादें हैं
    किसी की पहुंच दिल तक
    जिन्हें चाहकर रोका न जाए।
    वो अहसास हैं जो
    महकते हैं देर तक
    जेहन में।
    यादें तो बस यादें हैं।


    बहुत खूबसूरत प्रियंका जी।

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  11. खुबसूरती से यादों को महकाया .
    बधाई

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  12. हर रूप में ...बहुत प्यारी हैं यादें आपकी !
    बहुत-बहुत बधाई प्रियंका जी !!!

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  13. बहुत खूबसूरत नए बिम्ब . बहुत सुन्दर प्रियंका .

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  14. बहुत सुंदर प्रियंका जी ....

    किसी सर्द रात में
    बर्फ़ हो रहे बदन पर
    कोई चुपके से
    एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए..

    बहुत-बहुत बधाई प्रियंका जी !!!

    .

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  15. आप सभी का बहुत बहुत आभार...

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