पथ के साथी

Wednesday, November 11, 2015

अँधियारे से लड़ता चल




1-सुनीता पाहूजा

चित्र:गूगल से साभार
हम सबके जीवन में ज्ञान का प्रकाश हो 
हम सबके रिश्तों में प्रेम का अहसास हो
हर पल में मिठाई से ज्यादा मिठास हो
इंसानियत के प्रति आशा और विश्वास हो ।
सबसे बड़ा धन तो मानवता है, चहुँ ओर हम
इसकी खुश्बू फैलाएँ और कई गुना वापस पाएँ
दीयों के प्रकाश से अपनी दीपावली मनाएँ, 
कुम्हारों के जीवन में आशा की किरण जगाएँ...........
0-
2-मंजु मिश्रा

ऐ मेरे दीपक जलता चल
अंधियारे से लड़ता चल

कभी नहीं तू घबराना
आँधी हो या बारिश हो
क़दमों को मजबूती से
आगे आगे रखता चल
ऐ मेरे दीपक जलता चल
        अँधियारे से लड़ता चल

जाने कितने घर आँगन हैं
जिनमे अभी अँधेरा है,
बाँट रौशनी सबको इकसम
भेद-भाव से बचता चल
ऐ मेरे दीपक जलता चल
        अँधियारे से लड़ता चल

बहुत मिलेंगे रस्ते में जो
मोलतोल की बात करेंगे
मत फँसना उनके फंदे में
सब चालों से बचता चल
ऐ मेरे दीपक जलता चल
        अँधियारे से लड़ता चल

नहीं हुआ सोने का तो क्या
जगमग लौ तो तेरी भी है
महलों में तो बहुत उजाला
तू कुटिया में जलता चल
ऐ मेरे दीपक जलता चल
        अँधियारे से लड़ता चल
-0-