पथ के साथी

Tuesday, August 4, 2015

पावन गीत बुने धरती ने



छन्दशास्त्र में शालिनी, इन्दिरा/ कनकमंजरी,उपेन्द्रवज्रा, इन्द्रवज्रा भुजंगी 11-11 वर्ण के छन्द हैं । इन सबके वर्णिक संयोजन में गणों का वैविध्य है।दोधक भी 11 वर्ण का छन्द है।नाट्यशास्त्र के अनुसार इसमें तीन भगण( 211+211+211 और दो गुरु 2+2 होते हैं। आज डॉ ज्योत्स्ना शर्मा और गुंजन अग्रवाल  के तीन-तीन दोधक दिए जा रहे हैं।

1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
मोहक मादक सावन आया
बादल सागर से जल लाया
धूम मची जग में अति भारी
देख रहा नभ छूकर क्यारी
2
बूँद झरी जब दादुर बोले
नाच उठा मन-मानस डोले
पावन गीत बुने धरती ने
आँचल पुष्प चुने रस भीने
3
खूब सजा फिर दामन धानी
सूरज भूल गया मनमानी  
यूँ मुझको तुम ना बिसराओ
साजन लौट अभी घर आओ ।
-0-
2-गुंजन अग्रवाल

दर्द हरे सुख  हैं बरसाते
जीवन की बगिया महकाते
पुष्प खिले मन आँगन मेरे
मित्र बने जब आज घनेरे

पावस हो तुमसे दिन जाते
आकर हो जब कण्ठ लगाते
राज नही तुमसे छिप पाते
दूर खड़े तुम हो मुसकाते

रक्त परे दिल का यह नाता
मित्र बिना दिल चैन न पाता
मैं खुशकिस्मत जीवन प्यारा
यार मिला तुम -सा जब न्यारा ।
-0-