पथ के साथी

Saturday, April 18, 2015

ख़ुद से इतना प्यार न कर



ग़ज़ल
1-ख़ुद से इतना प्यार न कर
     -अनिता ललित 

ख़्वाबों को अख़बार न कर
ख़ुद से इतना प्यार न कर।

ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।

महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।

फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।  

अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।

लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।

 साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।
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2-भोर ठिकाना आना है 
        -अनिता ललित 

तूफ़ानों की बस्ती में, गहरे तम घिर आएँगे 
डरकर तुम मत रुक जाना, भोर-ठिकाना आना है।

भरम मिटाकर हर दिल से, खोई आस जगाएँगे
नाउम्मीदी हारेगी,  दिल को बस समझाना है ।

धुन्ध भरी इन राहों में, तनिक न हम घबराएँगे
काँटे भी देंगे रस्ता , मंज़िल को ग़र पाना है।

कठिन घड़ी में जीवन की, आँसू नहीं गवाएँगे
मन का बाँध गिराना है , आगे बढते जाना है।

नफ़रत लेकर दुनिया में, हासिल क्या कर पाएँगे
प्यार बसा है जिस दिल में, उसके संग ज़माना है।

पर्वत रस्ता रोकेंगे, बादल घिर-घिर आएँगे
चीर समंदर का सीना, नैया पार लगाना है। 

बेग़ानों की बस्ती में, अपने हाथ छुड़ाएँगे
ख़ुद में रख विश्वास सदा, क़िस्मत से लड़ जाना है।
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