पथ के साथी

Monday, January 26, 2015

जीवन जिया होता




ज्योत्स्ना प्रदीप

तुमने कभी
जीवन जिया होता
राम -कृष्ण -सा
पर -अश्रु का पेय
तो पिया होता
नानक,बुद्ध जैसे
रखते धीर ,
बनते महावीर।
सत्य है अब हास -
रिश्चन्द्र को  ,
कहावत में ढाले
चाणक्य जैसे
कौन युग  सँभाले?
विवेकानंद
टैगोर- अम्बेडकर
गाँधी -नेहरू
के वे  महान् विचार
मन उतारें
वीर मंगल -पांडे,
लौहपुरुष,
भगत ,सुखदेव ,
राजगुरु की
कहाँ गई दहाड़?
पृथ्वी -शिवाजी-
ब्रह्म-रन्ध्र भेदती
सिंह- हुंकार! 
आज का नर बना
बड़ा संकीर्ण
सत्कर्मों में है क्षीण,
अपनों से ही
महाप्रलय-पाप !
समझो अब
जीवन का वो  मर्म
छोडो दुष्कर्म -
देखो!भारत -माता
माँग रही है-
शुद्ध -सुख -उत्थान
पुन: देश- निर्माण
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