पथ के साथी

Sunday, August 23, 2015

मौसम ले अँगडाई



1-उषा बधवार (टोरंटो, कनाडा)

1-   वर्षा ऋतु

गरज- गरज कर चमक-दमक कर

उषा बधवार

काली घटा घिर आई

टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे

वर्षा ऋतु फिर आई

चारों तरफ ओढ़ हरियाली

वसुधा भी हरषाई

टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे

 वर्षा ऋतु फिर आई ।



फल फूलों से भरी डालियाँ

झुकी हुई शरमाई

सावन झूले पड़े सुहाने अवा बहे पुरवाई

मोर पपीहरा नाचे झूमे

मौसम ले  अँगडाई

टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे

 वर्षा ऋतु फिर आई ।



कोयल घूमे डाली डाली पर

मीठे राग सुनाए

बह आवेग नदी भी मिलने

अपने तट से आए

जन जीवन उल्लास भरा है

आओ नाचो गाओ

कृषक देख खेती हरियाली

याद ईश की आई

टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे

वर्षा ऋतु फिर आई ।

-0-

2-गुंजन अग्रवाल 'गूँज'



न जाओ रूठ कर ऐसे,

सुनो तो राधिका रानी ।

सताती गोपियाँ मुझको, 

करें है खूब मनमानी ।।
तुम्हारी याद तड़पाए,
बहे है आँख से पानी ।
ह्रदय पर राज है तेरा ,
करो ऐसे  न नादानी ।।
रिझाती है सदा मुझको,
दिखाती खूब चतुराई।
लगाती कंठ से अपने ,
तनिक भी हूँ न हरजाई।।
चलेगी प्रीत पुरवाई।
चली आ लौट कर अब तो,
जलाती खूब तन्हाई।।
  
-0-

3-सविता अग्रवाल सवि

 1

लो साँझ की बेला आ गई

मन अब ऊबने लगा है

तन अब थकने लगा है

दोपहरी की कड़ी धूप से

साँझ को तरसने लगा है

पेड़ों की सूखी शाख -सा

पतझर में गिरते पात- सा

उर वेदन के तूफ़ान -सा

कहीं भटकने लगा है

 -0-

2

अपनी ही धुन में

हर कोई गाता है

कोई उस धुन में 

दर्द पाता है

और कोई तो ठहाका

लगाता है

पर गाने वाला

अपने अंदाज़ में

गाता ही चला जाता है     

-0-

11 comments:

  1. सुंदर कविताएँ। बधाई

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  2. कृषक देख खेती हरियाली

    याद ईश की आई

    टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे

    वर्षा ऋतु फिर आई ।
    man bhaavan vrshaa chitran

    उर वेदन के तूफ़ान -सा

    कहीं भटकने लगा है ।
    man - tan ki pidaa se dgdh sundr chitran
    चली आ लौट कर अब तो,
    जलाती खूब तन्हाई।।

    sundr shbd chitrn tnhaai virh kaa .

    उषा , गुंजन अग्रवाल, सविता अग्रवाल ‘सवि’ badhaai

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  3. टप- टप-टिप-टिप पानी बरसे
    वर्षा ऋतु फिर आई । bahut achhi rachna hai hardik badhai...

    न जाओ रूठ कर ऐसे,
    सुनो तो राधिका रानी । radha par likhi rachna bhi bahut payari hai hardik badhai...

    लो साँझ की बेला आ गई
    मन अब ऊबने लगा है ekdam sach kaha hai shaam hote hi eak udasi si chha jati hai man par khaskar sunday shaam ko meri man ki baat kahi aapne meri shubhkamnaye...

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  4. सुंदर कविताओं हेतु आप सभी को बहुत बधाई!
    उषा बधवार जी आपका स्वागत है!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. सुन्दर वर्षा गीत !
    दिखाती खूब चतुराई .. ...मोहक !

    साँझ की बेला .....मन को छू गई !
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!

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  6. मन भावन सुन्दर कविताओं के लिए बधाई और शुभ कामनाये सबको !

    मेरी कविता (वर्षा ऋतु) की प्रशंसा के लिए धन्यवाद :)

    उषा बधवार

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  7. वर्षा ऋतु के मनोहारी चित्रण ने जैसे बचपन के कुछ भूले से पल याद दिला दिए...बहुत बधाई...|
    राधिका को मनाती ये खूबसूरत पंक्तियाँ मन को भाई...बधाई...|
    मन अब ऊबने लगा है...कहीं गहरे तक छूती है...| हार्दिक बधाई...|

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  8. उषा जी बहुत सुन्दर भाव लिए वर्षा ऋतू की प्यारी सी याद दिलाती कविता |हार्दिक बधाई |

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  9. गुंजन जी आपको भी हार्दिक बधाई |

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    1. आप सभी का धन्यवाद |सम्पादक गण का भी ह्रदय से आभार प्रकट करती हूँ की मेरी कविता को यहाँ स्थान दिया है |

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  10. varsha geet, radhika rani v saanjh ki bela man ko choo gai ....aap sabhi ko haarsik bashai.!

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