पथ के साथी

Saturday, September 13, 2014

मेरी बिटिया~ मेरी परी ! मेरी शहज़ादी!



[नेहा  बेटी के लिए सहज साहित्य परिवार की ओर से कोटिश: बधाइयाँ !!
झरने -सा जीवन बहे
सुखद गाथा कहे
पथ में फूल झरें
सुरभि  की बात करें ।
-रामेश्वर काम्बोज ]
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मेरी बिटिया~ मेरी परी ! मेरी शहज़ादी!
अनिता  ललित

अनिता ललित-बेटी नेहा के साथ
चाँद का नूर,
सितारे आँखों में लिये;
चन्दन की सुगंध,
बाँसुरी की धुन लिये; 
तितली के रंग,
फूलों की हँसी लि लिये;
बूँदों की रुनझुन,
बोली में खनक लि लिये;
मेरे अँगना में उतरी
एक नन्ही परी। 
मेरी गोदी में खेली ,
मेरी बाँहों में झूली,
मेरी पलकों पर, बनकर
वो सपना पली।

धरती-आकाश में,
नित नए रंग खिले,
समय ने पग भरे,
सपने को  पंख लगे,
मेरी परी!
तू अब शहज़ादी हुई !

मेरा जिस्म, मेरी जान!
मेरी रूह की पहचान !
मेरी बिटिया तू है,
मेरा मान-अभिमान !
तेरे आने से मेरा
जीवन महका।
माँ कहकर मुझे
तूने पूर्ण किया।

तेरे जन्मदिन पर दूँ,
तुझे तोहफ़ा मैं क्या ?
तू है मेरा ही अंश,
मेरा सबकुछ तेरा।

तेरी राहों के काँटे बुहार दूँ मैं,
तुझे फूलों की महकी बहार मिले !
तेरे सपने, तेरे अरमान सभी

हो जाएँ पूरे, दुआएँ मेरी यही।
तेरे जीवन में सुख-समृद्धि रहे,
दिल में शान्ति, संतुष्टि का वास रहे।
तेरे सिर पर सदा रहे
ईश्वर का हाथ,
और जीवन में
उसका नूर बहे !!!
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