पथ के साथी

Saturday, May 10, 2014

सूखा गाँव करें!

ज्योत्स्ना प्रदीप  

1-सीलन

 छतें भी वो ही
अश्रु बहाती हैं
जहाँ रहनेवालों की
आँखों में
किरकिरी हो
गरीबी की
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2-दस्तक

बड़ा अजीब
यह शहर लगता है
यहाँ तो लोगों को
दरवाजों की दस्तकों से भी
डर लगता है !
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3-वार

जब कोई
ज़रूरत से ज्यादा 
सर नीचा करके
व्यवहार करता है,
याद रखना
साँप झुककर ही
वार करता है ।
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4-घायल

वो पत्ता
सूखा ,टूट गया
घायल है ज़मीं पर
सँभलकर चलना
चीखेगा बहुत
पाँव रखा जो......
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5-भेदभाव

ये आँसू भी
भेदभाव करें
अपनों के लिए अतिवृष्टि
गैरों के लिए आँखों को
सूखा गाँव करें!!
-0-

6-स्पर्श

रात्रि के हल्के स्पर्श से
झुकाके माथ
पौधा सो गया
मानो कोई अनाथ !
सपने में लिये
माँ का हाथ ।                               

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