पथ के साथी

Tuesday, June 17, 2014

प्रिय! यदि तुम पास होते!



डॉ कविता भट्ट



प्रिय! यदि तुम पास होते!



अगणित आशापत्रों से लदा,

प्रफुल्ल कल्पतरु जीवन सदा,

पतझर भी सुवासित मधुमास होते,

        प्रिय! यदि तुम पास होते!

झरझर प्रेम बरखा बरसती,

बूँदबूँद न कोंपल तरसती,

झूती असंख्य  मृदुल कलियाँ,

कामना के उल्लास होते!

        प्रिय! यदि तुम पास होते!

पुष्पगुच्छों के अधर पर,



कुछ तितलियाँ व कुछ भ्रमर,

रंगस्वर लहरियों के सहवास होते

         प्रिय! यदि तुम पास होते!



ये रातेंझिंगुरों की गान हैं जो,

शैलनद -ध्वनियों की तान हैं जो,

आलिंगनबद्ध धराआकाश होते,

                  प्रिय! यदि तुम पास होते!

जहाँ चिन्तन है, वहाँ आनन्द होता!

सरस हृदय-भावसिन्धु स्वच्छन्द होता!

  छल की पीड़ा मिटाते, अटूट विश्वास होते।

                   प्रिय! यदि तुम पास होते!

पलदिवस संघर्ष न होते,

आह्लादों के प्रसार होते।

सुवास भीगी , कामना के प्रश्वास होते।

                     प्रिय! यदि तुम पास होते!

धड़कनस्वर संत्रास न होते,

चूरचूर सब अवसाद होते।

 तरुझुरमुट, मधुरतानें, व रास होते

                          प्रिय! यदि तुम पास होते!

अविच्छिन्न आयाम निरन्तर साकार होते,

रेखाएँसीमाएँ और दिशान्तर लाचार होते। 

अन्तहीन कल्पनाओं को; विराम के आभास होते

                          प्रिय! यदि तुम पास होते!

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दर्शनशास्त्र विभाग, हेवाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय

श्रीनगर गढ़वाल(उत्तराखण्ड)

15 comments:

  1. आपकी लिखी रचना बुधवार 18 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. उत्कृष्ट शब्दावलियों के साथ उत्कृष्ट रचना , यह विशेष पद लगा .

    अविच्छिन्न आयाम निरन्तर साकार होते,

    रेखाएँ–सीमाएँ और दिशान्तर लाचार होते।

    अन्तहीन कल्पनाओं को; विराम के आभास होते

    प्रिय! यदि तुम पास होते!
    बधाई कविता जी

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    1. आपने मुझे सराहा धन्यवाद एवं आभार, आपका स्नेह इसी प्रकार मिलता रहे, ईश्वर से यही प्रार्थना है.
      आपकी स्नेहाकांक्षिनी
      डॉ. कविता भट्ट

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  3. चूर–चूर सब अवसाद होते।

    तरु–झुरमुट, मधुर–तानें, व रास होते
    bahut bahut sunder
    badhai
    rachana

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  4. उत्कृष्ट प्रस्तुति ! बधाई !

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  5. अति सुन्दर प्रशंसनीय रचना !
    बधाई कविता जी
    कृष्णा वर्मा

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  6. प्रियवर यदि तुम पास मेरे होते
    सच बोलो क्या तुम भ्रमर न होते
    मेरे अधरों की लाली चुरा -चुरा
    मैं सुरभित तुम सौरभ होते
    लम्हों को सदियाँ लिखने को तुमने ठानी
    सच , लम्हों को सदियाँ लिखने के
    प्रियवर तुम ही मेरे कविवर होते

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  7. कोमल भावनाओं की सुन्दर उपज

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  8. आलिंगनबद्ध धरा–आकाश होते,

    प्रिय! यदि तुम पास होते!

    बहुत ही सुन्दर प्रेमपूर्ण रचना

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  9. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  10. प्रिय को याद करती प्यार भरी सुन्दर बानगी!

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  11. सुन्दर ,कोमल भावों को बहुत सुन्दर ,सरल भाषा में अभिव्यक्त किया है ....हार्दिक बधाई ..बहुत शुभ कामनाएँ !!

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  12. सुंदर शब्दों को विरही भावों में गूँथती अपने प्रिय को समर्पित मुक्ता -हार सी कविता की कविता ...शुभकामनाएँ...

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  13. pyar men pagi payari si rachna ke liye hardik badhai...

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  14. बहुत सुन्दर...भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई...|

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