पथ के साथी

Tuesday, November 26, 2013

आसमाँ में चाँद की तरह



 अनिता ललित
1
चढ़ो ... तो आसमाँ में चाँद की तरह....
कि आँखों में सबकी...बस सको...
ढलो... तो सागर में सूरज की तरह...
कि नज़र में सबकी टिक सको....!
2

काश लौट आए वो बचपन सुहाना...
बिन बात हँसना....
खिलखिलाना...
हर चोट पे जी भर के रोना.......!
3 

बनकर जियो ऐसी मुस्कान...
कि.. हर चेहरे पर खिलकर राज करो.. !
न बनना किसी की... आँख का आँसू..
कि गिर जाओ .. तो फिर उठ न सको...!
4

 दिल की मिट्टी थी नम...
जब तूने रक्खा पाँव...,
अब हस्ती मेरी पथरा गई..
बस! बाकी रहा .. तेरा निशाँ !
5
मुझे पढ़ो......
तो ज़रा सलीके से पढ़ना...
ज़ख़्मों के लहू से लिखी....
अरमानों की ताबीर हूँ मैं...!
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