पथ के साथी

Sunday, June 30, 2013

ज्यों जनमों का साथ

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दीपक बाती से कहे ,तुम पाओ निर्वाण ।
मेरी भी चाहत जलूँ ,जब तक तन में प्राण ।।
      2
कटते -कटते कह रही,वन के मन की आग ।
कैसे गाओगे सखा ,अब सावन का राग ।।
       3
संग हँसें रोंयें सदा, नहीं मिलन की रीत ।
प्रभु मेरी तुमसे हुई, ज्यों नैनन की प्रीत ।।
       4
सुवर्ण मृग  की लालसा ,छीने सुख  के धाम ।
किस्मत ने उनका लिखा,जीवन दुख के नाम ।।
       5
जब लालच की आग को ,मन में मिली पनाह ।
बेटी का आना यहाँ, तब से हुआ गुनाह ।।
    6
सुख की छाया है कभी ,कभी दुखों की धूप ।
देख भी लो नियति - नटी, पल- पल बदले रूप ।।
   7
पावनता पाई नहीं ,जन -मन का विश्वास ।
सीता को भी  राम  से , भेंट मिला वनवास ।।
  8
मधुर मिलन की चाह मन ,नैनन दर्शन आस ।
कौन जतन कैसे घटे,अन्तर्घट की प्यास ।।
9
दुनिया के बाज़ार में , रही प्रीत अनमोल ।
ले जाये जो दे सके , मन से मीठे बोल ।।
10
कल ही थामा था यहाँ,दुख ने दिल का हाथ ।
आकर ऐसे बस गया ,ज्यों जनमों का साथ ।।
11
आहट तक  होती नहीं ,सुख के इस बाज़ार ।
हम भी दुख की टोकरी ,लेने को लाचार ।।
12
सागर ,सुख दुख की लहर , ये सारा संसार ।

मेरी आशा ही मुझे , ले जाएगी पार ।।

12 comments:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक छंद ......


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  2. भावो को संजोये रचना......

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  3. सभी दोहे एक से बढ़कर एक...ज्योत्सना जी को सादर बधाई !!

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  4. भावपूर्ण प्रस्तुति...बधाई।

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  5. aa Aditi Poonam ji ,Sushma ji ,ऋता शेखर मधु ji evam Krishna ji ..आपकी सुन्दर प्रेरक उपस्थिति के लिए ह्रदय से धन्यवाद !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  6. इतने मधुर, सुन्दर और लाजवाब दोहे ... भरपूर आनंद ...

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  7. सभी दोहे बहुत सुन्दर है...खास तौर से ये वाला...
    कल ही थामा था यहाँ,दुख ने दिल का हाथ ।
    आकर ऐसे बस गया ,ज्यों जनमों का साथ ।।
    बधाई...|

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  8. सभी दोहे बहुत सुन्दर है...खास तौर से ये वाला...
    कल ही थामा था यहाँ,दुख ने दिल का हाथ ।
    आकर ऐसे बस गया ,ज्यों जनमों का साथ ।।
    बधाई...|

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  9. jyotna ji apke sabhi dohe arth purn bhavon se bhare hai. badhai.
    pushpamehra.


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  10. बहुत बहुत आभार ..आ दिगम्बर नासवा जी एवं प्रियंका जी

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  11. ह्रदय से धन्यवाद ..आ पुष्पा मेहरा जी

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  12. जब लालच की आग को ,मन में मिली पनाह ।
    बेटी का आना यहाँ, तब से हुआ गुनाह ।।

    दुनिया के बाज़ार में , रही प्रीत अनमोल ।
    ले जाये जो दे सके , मन से मीठे बोल

    yun to sabhi dohe sundar hain .... lekin ye to bas man me bas hi gaye ....

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