पथ के साथी

Tuesday, April 9, 2013

कहाँ विश्राम लिखा !( नव संवत्सर पर विशेष)


डॉ•ज्योत्स्ना  शर्मा

सुन सखी ! कहाँ विश्राम लिखा !
मैंने तो आठों याम लिखा ।
पथ पर कंटक,  चलना होगा,
अँधियारों में जलना होगा ।
मन- मरुभूमि सरसाने को 
हिमखंडों- सा, गलना होगा ।
शुभ, नव संवत्सर हो सदैव ,
संकल्प यही सत्काम लिखा।।

केवल जीने की चाह नहीं ,
भरनी मुझको अब आह नहीं ।
फूल और कलियाँ मुस्काएँ
गूँजे न कोई कराह कहीं ।
नव आगत तेरे स्वागत में 
पल का प्यारा पैगाम लिखा ।।

समय मिलेगा फिर बाँचेगा
मेरी भी कापी जाँचेगा।
रहे हैं कितने प्रश्न अधूरे ;
कितने उत्तर सही हैं पूरे ।
जीवन के खाली पन्नों पर -
साँसों का बस संग्राम लिखा ।।

मैंने तो आठों याम लिखा ,
सुन सख! कहाँ विश्राम लिखा !
-0-

12 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता। जीवन को नई ऊर्जा से भर देने वाला...
    केवल जीने की चाह नहीं ,
    भरनी मुझको अब आह नहीं ।
    फूल और कलियाँ मुस्काएँ
    गूँजे न कोई कराह कहीं ।
    नव आगत तेरे स्वागत में
    पल का प्यारा पैगाम लिखा ।।
    ज्योत्स्ना जी को बधाई।

    ReplyDelete
  2. प्रेरणाप्रद सुन्दर कविता बधाई ज्योत्स्ना जी।

    ReplyDelete
  3. बस यही जीवन है .....
    नव-संवत्सर की शुभ कामनाएं ....
    धन्यवाद...

    ReplyDelete
  4. समय मिलेगा फिर बाँचेगा
    मेरी भी कापी जाँचेगा।
    रहे हैं कितने प्रश्न अधूरे ;
    कितने उत्तर सही हैं पूरे ।
    जीवन के खाली पन्नों पर -
    साँसों का बस संग्राम लिखा ।।

    bas ek hi shabd Adbhut !!! itni sundar rachna ki prashansa ke liye mere pas upyukt shabd nahi hain...

    ReplyDelete
  5. सबकी कापियाँ जाँचेगा समय -परीक्षा दे रहे हैं हम लोग तो साल-दर-साल!

    ReplyDelete
  6. बहुत-बहुत सुंदर कविता !
    जीवन के खाली पन्नों पर -
    साँसों का बस संग्राम लिखा~प्रशंसा के लिए शब्द नहीं...
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  7. चल चल पथिक, जल जल पथिक..

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्दर...मन में जैसे एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है इन पंक्तियों से...| इस प्यारी सी रचना के लिए आभार और बधाई...|

    प्रियंका

    ReplyDelete