पथ के साथी

Thursday, March 7, 2013

पूजा-सी पावन लगे


[जीवन में नारी के बहुत सारे रूप देखे , माँ बहन , बेटी, मित्र-सभी अद्भुत !कुछ तो ऐसे कि एक रूप में सारे रूप समाए हुए !  मुझे इनका जितना नि:स्वार्थ स्नेह मिला, आशीर्वाद मिले , शुभकामनाएँ मिलीं ; वे सब मेरे जीवन की पूँजी है।  इन सभी का मेरे ऊपर इतना ॠण है कि जन्म -जन्मान्तर तक इसको चुकाना मुश्किल है ।मैं चुकाना भी नहीं चाहूँगा ।कुछ ॠण अपने सिर पर बकाया रखूँगा ताकि ये सब रूप मुझे हर जन्म में मिलें ।
अपने इन दोहों के माध्यम से आज अपनी आवाज़ सब तक पहुँचा रहा हूँ , किसी दिखावे के लिए नहीं ,वरन् इन सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए।]
रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
1
नारी केवल तन नहीं ,नारी मन की धूप ।
मन में जिसके वासना ,कब पहचाने रूप  ।  ।
2
नवरात्र उपवास किए , मिटे न मन के ताप ।
पुरुष बनकरके नरपशु, फिर-फिर करता पाप ॥
3
नारी जननी पुरुष की ,ममता की आधार ।
बड़े भाग जिसको मिला,इसका सच्चा प्यार । ।
4
मस्तक पर धारण करूँ ,तेरे पग की धूल ।
प्यार-सुधा तेरा मिले , मिटते मन के शूल । ।
5
मन्दिर मैं जाता नहीं , निभा न पाता रीत ।
पूजा-सी पावन लगे  , मुझको तेरी प्रीत । ।
6
नारी के आँसू बहें , जलते तीनो लोक ।
नारी की मुस्कान से ,मिटते मन के शोक । ।
7
रेखांकन: भावना कुँअर









प्रतिक्रिया(1-8 दोहे)
डॉभावना कुँअर
1
लोगों की ये धारणा, नारी बदले रूप
पहले रहती प्रेयसी,फिर चण्डी का रूप।
2
गलती करता खुद फिरे,भूल गया सब पाप ।
अपने कड़वे  वचन से,सबको दे सन्ताप।
3
पहचाने ना नर कभी,सच्चा उसका प्यार
शक दैव पीछा करें,फूँक दिया घर बार
4
बने सभी की धारणा करे कोई भूल
मन की बगिया यूँ खिले,ज्यूँ बासन्ती फूल।
5
बिरले ऐसे लोग हैं, जिनकी ऐसी सोच
ढूँढे से भी ना मिले, कर लो जितनी खोज़।
6
ऐसी सबकी सोच हो, दे नारी को मान
यही सृष्टि मैंने रची, सोचेगा भगवान।
7
तन मन में है भरी, हर नारी के पीर
पीड़ा से पैदा हुई, नारी की तकदीर।
8
रहे सलामत साँस वो,जो देते आशीष
ऐसे मन्दिर कम  मिलें,झुके जहाँ पर शीश।

-0-
अन्तर में जब-जब उठे , तेरे कोई पीर ।
सच मानो मेरा हिया ,होता बहुत अधीर । ।
8
जब तक अन्तिम साँस हैं, मैं हूँ तेरे साथ ।
टिका रहेगा अहर्निश ,तेरे सिर पर हाथ । ।
9
जहाँ -जहाँ मुझको मिली , तेरे तन की छाँव ।
देवालय समझा उसे , ठिठके मेरे पाँव  । ।
10
कटु वचन जो भी चुभे , बनकर उर में शूल ।
माफ़ करो मन से सभी , जो भी मेरी भूल । ।
-0-

29 comments:

  1. नारी के आँसू बहें , जलते तीनो लोक ।
    नारी की मुस्कान से ,मिटते मन के शोक ।!

    ~सभी दोहे... सीधे से निकले...और दिल में ही उतरे...भाई साहब!
    एक-एक दोहा...बहुत-बहुत सुंदर, भावपूर्ण, अर्थपूर्ण...!
    ~सादर!!!

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  2. उत्कृष्ट भाव और अभिव्यक्ति भी .
    सादर शुभकामनायें भैया

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  3. mahila diwas par aap k sabhi dohe bahut achhe lage...

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  4. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  5. jyotsna sharma07 March, 2013 20:48

    bahut sundar bhaavanaao se paripoorn dohe hain aapke ....

    मन्दिर मैं जाता नहीं , निभा न पाता रीत ।
    पूजा-सी पावन लगे , मुझको तेरी प्रीत । । .......naaree ke prati jo sammaan aur sneh aapki panktiyon mein abhivyakt hotaa hai ...uske liye swayam maa shaaradaa kii kripa drishti aap par kyun n ho ....bahut badhaaii aur aabhaar .

    saadar
    jyotsna sharma

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  6. मस्तक पर धारण करूँ ,तेरे पग की धूल ।
    प्यार-सुधा तेरा मिले , मिटते मन के शूल । ।
    नारी का इतना सम्मान कोई आप जैसा पुरुष ही कर सकता है.....काश यह बात सब पुरुषों तक पहुचें।

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  7. मस्तक पर धारण करूँ ,तेरे पग की धूल ।
    प्यार-सुधा तेरा मिले , मिटते मन के शूल ।
    बेजोड़ भाव कमाल की भावाभिव्यक्ति।
    बहुत आभार।

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  8. बहुत ही सार्थक और सुंदर दोहे ! नमन भाई जी।

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  9. हर दोहा सार्थक है, पावन भाव लिए अति सुंदर है । आप की लेखनी को नमन भाई जी।

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  10. भैया हम सभी बहने आप जैसा भाई पा कर स्वयं को घन्य समझती है क्योंकी आप आपनी बहनों का ही नहीं सभी नारियों का सम्मान करते हैं
    आप का एक एक दोहा बहुत सारगर्भित और बहुत ही सुंदर है .जिसमे आपकी सुंदर भावनाए झलकती हैं .
    सादर
    रचना

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  11. मस्तक पर धारण करूँ ,तेरे पग की धूल ।

    प्यार-सुधा तेरा मिले , मिटते मन के शूल । -- कृतज्ञता का भाव --बेजोड़ |


    मन्दिर मैं जाता नहीं , निभा न पाता रीत ।

    पूजा-सी पावन लगे , मुझको तेरी प्रीत । बहुत ही सुन्दर |

    नारी के विविध रूपों को समर्पित आपके ये दोहे अतुल्य हैं | आज के समाज में ऐसे ही पावन भावों की आवश्यकता है | आभार आपका |

    सादर,

    शशि पाधा

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  12. सम्मान और श्रद्धा की मिसाल हैं ये दोहे !

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  13. बहुत सुन्दर...भावपूर्ण...आभार...|
    सादर,
    प्रियंका

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  14. बहुत ही सुन्दर हैं ये दोहे !

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  15. आपके बढ़िया दोहे सबका मन मोहे...

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  16. नारी जननी पुरुष की ,ममता की आधार ।

    बड़े भाग जिसको मिला,इसका सच्चा प्यार । ।
    प्यार में सुख भी है और आदर सम्मान भी। बीज-बृक्ष-सी पूरी सृष्टि ही तो एक-दूसरे में लिपटी है। शाश्वत सच्चाई तो यही है कि जिसे भी जिस रूप , जिस रिश्ते में सच्चा प्यार मिला , वही बड़भागी है। आभार आपका नारी को विशेष महसूस कराने के लिए। सुखद और सान्त्वना पूर्ण हैं दोहे।

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  17. वाह, बहुत खूब!
    मुझे बहुत ही अच्छे, भावपूर्ण लगे दोहे!
    डॉ सरस्वती माथुर

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  18. बहुत ह्रदयग्राही दोहे हैं,आज के संदर्भ में सार्थक भी....आपको कोटिश: बधाई

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  19. बहुत ही खूब लिखा है.एक से बड कर एक दोहे... खूब अच्छी पोस्ट अन्तराष्ट्रीय महिला दिअस पर

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  20. Aap jaise Bhai ko paakar ye jeevan to safal hua agla jeevan chaaihiye hi nahi .aapke man hrdaya men maan sammmaan naari ka hai vo is dharti par virle hi logon ke man men hoga ,aapki har pankti aapke dil se nikali hai jiski aavaaj sab tak pahuch gayi hai .4,5 no ke dohe ki to prsansa ke mere paas shabd hi nahi hain unke liye aap prti kiya men likhe mere bhaav hi padh lijiye bas,ph se copy,paste nahi ho pa raha....in acchhi bhavnaaon ko hamse share karne ke liye hrday se aabhaar ...

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  21. bhut khoob kamboj ji 10 doheaur bhavana ji ke 8, main bhi lagabhag 30 she`r ki ek Gazal bhej rha hun,isi vishy par kamboj bhai ko mail se chahen to poat kren.

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  22. ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮਹਿਲਾ ਦਿਵਸ 'ਤੇ ਅਸੀਂ ਲਿਖਦੇ ਰਹਾਂਗੇ ਤੇ ਥੋੜੇ ਬਹੁਤ ਇਸ ਲਿਖੇ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹ ਲੈਣਗੇ। ਪਰ ਪਰਨਾਲ਼ਾ ਓਥੇ ਦਾ ਓਥੇ ਹੀ ਹੈ। ਨਾਰੀ ਦਾ ਆਦਰ ਕਰਨਾ ਹਰ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ। ਮੈਂ ਇੱਥੇ ਇਹ ਨਹੀਂ ਕਹਿੰਦੀ ਕਿ ਪੁਰਸ਼ ਨੂੰ ਨਾਰੀ ਦਾ ਆਦਰ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਆਉਂਦਾ। ਦੂਜੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਵੀ ਇਸ 'ਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ - ਚਾਹੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੋਵੇ......ਸਹੁਰੇ ਘਰ 'ਚ ਜਾਂ ਪੇਕੇ ਘਰ 'ਚ ......ਜੇ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦਾ ਆਦਰ ਕਰਨਾ ਨਹੀਂ ਸਿੱਖਣਗੀਆਂ ...ਤਾਂ ਸਿਖਾਉਣਗੀਆਂ ਕਿਵੇਂ ? ਜੇ ਘਰ 'ਚ ਏਹੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਕਿ ਘਰ 'ਚ ਆਈ ਨਵੀਂ ਵਿਆਹੀ ਨੂੰ ਦਬਾ ਕੇ ਕਿਵੇਂ ਰੱਖਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਭਾਵੇਂ ਸਦੀਆਂ ਬੀਤ ਜਾਣ ਸਾਨੂੰ ਇਹ ਲਿਖਦਿਆਂ .....ਪਰ ਸੁਧਾਰ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਣਾ । ਲੋੜ ਹੈ ਅਜਿਹੀਆਂ ਲਿਖਤਾਂ ਨੂੰ ਅਮਲੀ ਜਾਮਾ ਪਵਾਉਣ ਦੀ।
    ਰਾਮੇਸ਼ਵਰ ਜੀ ਤੇ ਭਾਵਨਾ ਜੀ ਵਧਾਈ ਦੇ ਪਾਤਰ ਨੇ ਜਿੰਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਲਮ ਨੇ ਅਜਿਹੇ ਅਹਿਸਾਸਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਬਦੀ ਜਾਮਾ ਪਵਾਇਆ।
    ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ
    --

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  23. अन्तरराशटरी महिला दिवस 'ते असीं लिखदे रहांगे ते थोड़े बहुत इस लिखे नूँ पड़्ह लैणगे। पर परनाल़ा ओथे दा ओथे ही है। नारी दा आदर करना हर किसे नूँ नहीं आउंदा। मैं इत्थे इह नहीं कहिन्दी कि पुरश नूँ नारी दा आदर नहीं करना आउंदा। दूजीआं औरतां वी इस 'च शामिल हन - चाहे उन्हां दा कोई वी रिशता होवे......सहुरे घर 'च जां पेके घर 'च ......जे इक्क दूजे दा आदर करना नहीं सिक्खखणगीआं ...तां सिखाउणगीआं किवें ? जे घर 'च एही सिक्खिखिआ दित्ती जावेगी कि घर 'च आई नवीं विआही नूँ दबा के किवें रक्खणा है तां भावें सदीआं बीत जाण सानूँ इह लिखदिआं .....पर सुधार नहीं हो सकणा । लोड़ है अजिहीआं लिखतां नूँ अमली जामा पवाउण दी। रामेश्वर जी ते भावना जी वधाई दे पातर ने जिन्हां दी कलम ने अजिहे अहिसासां नूँ शबदी जामा पवाइआ।

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  24. सभी दोहे अप्रतिम. किस किस को चुनूँ...

    नारी के आँसू बहें , जलते तीनो लोक ।
    नारी की मुस्कान से ,मिटते मन के शोक । ।

    कहते हैं कि जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता का वास होता है.
    नारी को समर्पित आपके और भावना जी के सभी दोहे बहुत ही भावपूर्ण और संदेशप्रद हैं. बहुत बहुत शुभकामनाएँ.

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  25. सारे दोहे सात्विकता और भावों के अमृत से सिंचित हैं , मन कि बगिया को हरा-भरा कर गए ...
    बने सभी की धारणा , करे न कोई भूल
    मन की बगिया यूँ खिले,ज्यूँ बासन्ती फूल।
    पीड़ा नारी की तकदीर का पैदा होना बहुत ही मर्मस्पर्शी है। आपको शत-शत नमन

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  26. आप सबका जितना स्नेह और सम्मान मिला , उसके लिए हम बहुत आभारी हैं । आपका यह अपनापन ही हमारी शक्ति है!

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  27. जब तक अन्तिम साँस हैं, मैं हूँ तेरे साथ ।

    टिका रहेगा अहर्निश ,तेरे सिर पर हाथ । ।
    आपका हाथ हमेशा हमारे सर पे रहे ...आपके हाथ में थमी ये कलम अमृत बरसाती रहे ... आपका निश्छल अपनापन सबको अपना बना लेता है भैया

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