पथ के साथी

Sunday, March 10, 2013

लड़कियों की जिन्दगी


[औरत के बहुआयामी जीवन एवं व्यक्तित्व पर केन्द्रित एक गज़ल-
मेरा मानना है के स्त्री प्रकृति की सबसे पूर्ण कृति है,पुरुष उसके सामने  स्वयं को बौना पाता है,अधूरा महसूस करता है,
इसीलिए वह कभी एटम बम,कभी चंद्रयान ,कभी किले,महल तो कभी नये-नये धर्म ईजाद करता दिखता है,
जबकि स्त्री शिशु को जन्म देकर, उसका पालन-पोषण कर जीवन की पूर्णता, पाकर संतुष्ट हो जाती है ;इसीलिए उसे कभी कोई धर्म ईजाद करने  की जरूरत महसूस नहीं हुई लेकिन यह भी एक सत्य है कि स्त्री पुरुष दोनों ही को प्रकृति ने एक अनूठी विशिष्टता प्रदान की है कि वे दोनों यानी हर प्रजाति के नर मादा एक दूसरे के बिना अधूरे लंडूरे भी हैं।
यह प्रस्तुति इस विनम्र निवेदन के साथ कि तोता मैना का किस्सा भूल हर नर नारी को या पति पत्नी को समझदारी के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने का सत् प्रयास करना चाहिए।
डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ निदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी एवं सम्पादक हरिगन्धा मासिक ]
श्याम सखाश्याम
1
काँच का बस एक घर है लड़कियों की जिन्दगी
और काँटों की डगर है लड़कियों की जिन्दगी
2
मायके से जब चले है सजके ये दुल्हिन बनी
दोस्त अनजाना सफर है लड़कियों की जिन्दगी
3
एक घर ससुराल    है तो दूसरा     है मायका
फिर भी रहती दर-ब-दर है लड़कियों की जिन्दगी
4
खूब देखा, खूब परखा, सास को आती न आँच,
स्टोव का फटना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
5
पढलें लिखलें और करलें  नौकरी भी ये भले
सेज पर सजना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
6
इस नई तकनीक ने तो है बना दी कोख भी
आह कब्रिस्तान भर है लड़कियों की जिन्दगी
7
कारखानों अस्पतालों या घरों में भी तो यह
रोज लड़ती इक समर है लड़कियों की जिन्दगी

8
लूटते इज्जत हैं इसकी मर्द ही जब, तब कहो
क्यों भला बनती खबर है लड़कियों की जिन्दगी
9
बाप मां के  बाद   अधिकार है भरतार का
फर्ज का संसार भर है लड़कियों की जिन्दगी
10
हो रहीं तबदीलियाँ दुनिया ये अब तो हर जगह
वक्त की तलवार पर है लड़कियों की जिन्दगी
11
क्यों हैं करती दुश्मनी खुद औरतों से औरतें
बस दुखी यह जानकर है लड़कियों की जिन्दगी
12
माँ बहन हैं बेटियाँ भी ये हमारी दोस्तो
बिस्तरा होना मगर है लड़कियों की जिन्दगी
13
किस धरम, किस जात में इन्साफ इसको है मिला
जीतती सब हार कर है लड़कियों की जिन्दगी
14
हो अहल्या या हो मीरा या हो बेशक जानकी
मात्र चलना आग पर है लड़कियों की जिन्दगी
15
दौपदी हो, पद्मिनी हो,  हो भले ही डायना
रोज लगती दाँव पर है लड़कियों की जिन्दगी
16
एक रजिया एक लक्ष्मी और इन्दिरा जी भला
क्या नहीं अपवाद-भर है लड़कियों की जिन्दगी
17
क्या जवानी क्या बुढ़ापा या भले हो बचपना
सहती हर दम बद नजर है लड़कियों की जिन्दगी
18
हों घरों में, आफिसों में, हों सियासत में भले
क्या कहीं भी मोतबर है लड़कियों की जिन्दगी
19
औरतों के हक में हों कानून कितने ही बने
दर हकीकत बेअसर है लड़कियों की जिन्दगी
20
तू अगर इसको कभी अपने बराबर मान ले
फिर तो तेरी हमसपफर है लड़कियों की जिन्दगी
21
घर भी तो इनके बिना बनता नहीं घर दोस्तो
क्यों भला फ़िर घाट पर है लड़कियों की जिन्दगी
22
आह धन की लालसा का आज ये अंजाम है
इश्तिहारों पर मुखर है लड़कियों की जिन्दगी
23
कर नुमाइश जिस्म की क्या खुद नहीं अब आ खड़ी
नग्नता के द्वार पर है लड़कियों की जिन्दगी
24
प्यार करने की खता जो कहीं करलें ये कभी
तब लटकती डाल पर है लड़कियों की जिन्दगी
25
जानती सब, बूझती सब, फिर भला क्यों बन रही
हुस्न की किरदार भर है लड़कियों की जिन्दगी
26
ठीक है आजाद होना, हो मगर उद्दण्ड तो
कब भला पायी सँवर है लड़कियों की जिन्दगी
27
माँ बहन बेटी कभी पत्नी कभी,कभी है प्रेयसी
जानती क्या-क्या हुनर है लड़कियों की जिन्दगी
 28
मुम्बई हो,    कोलकाता,    राजधानी देहली
चल रही दिल थामकर है लड़कियों की जिन्दगी
29
ले रही वेतन बराबर,हक बराबर, पर नहीं
इतनी सी तकरार भर है लड़कियों की जिन्दगी
30
आदमी कब मानता इन्सान इसको है भला
काम की सौगात भर है लड़कियों की जिन्दगी
31
शोर करते हैं सभी तादाद इनकी घट रही
बन गई अनुपात भर है लड़कियों की जिन्दगी
32
ठान लें जो कर गुजरने की कहीं ये आज भी
फिर तो मेधा पाटकर है लड़कियों की जिन्दगी
33
क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी
34
देवता बसते वहाँ है, पूजते नारी जहाँ
क्यों धरा पर भार भर है लड़कियों की जिन्दगी
35
हाँ, कहीं इनको मिले गर प्यार थोड़ा दोस्तो
तब सुधा की इक लहर है ,लड़कियों की जिन्दगी
36
मैंने ,तुमने और सबने कह दिया, सुन भी लिया
क्यों न फिर जाती सुधर है ,लड़कियों की जिन्दगी
37
माफ मुझको अब तू कर दें ऐ खुदा मालिक मेरे
हाँ यही किस्मत अगर है, लड़कियों की जिन्दगी
38
कल्पनाको श्यामजब अवसर दिया इतिहास ने
उड़ चली आकाश पर है लड़कियों की जिन्दगी

-0-
श्याम सखा'श्याम'

इस वादे के साथ कि आप का समय व्यर्थ न होगा
आप यहां आमंत्रित हैं
http://gazalkbahane.blogspot.com/
http://katha-kavita.blogspot.com

38 comments:

  1. बेटियों के लिए इस तरह से सोचने , लिखने के लिए श्याम सखा जी को नमन ।

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  2. हो रहीं तबदीलियाँ दुनिया ये अब तो हर जगह
    वक्त की तलवार पर है लड़कियों की जिन्दगी
    बहुत ही खूब श्‍याम सखा जी । एक एक शब्‍द बयान करता हमारी जिन्‍दगी।


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    1. आदरणीया रचना को सम्मान देने हेतु नमन

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  3. अतिसुन्दर...बधाई!परन्तु आपने लिखा है..नर मादा एक दूसरे के बिना अधूरे लंडूरे भी हैं।..यहाँ पर लंडूरे शब्द थोड़ा अजीब सा लगा है मुझे...

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    1. आदरणीया पहले तो गज़ल कबूलने हेतु आभार। दूसरे जहां तक मैं जानता हूं लंडूरे का अर्थ दुमकटा झुंड से निष्कासित बन्दर होता है। जो झुंड के नियमों अनुशासन को भंग करने के कारण निष्कासित किया जाता है।इसी सन्दर्भ में जो स्त्री-पुरुष प्रेम के जीवन को कलह में बदल डालते हैं अपनी और दूसरों की जिन्दगी बर्बाद कर बैठते हैं उनके लिये प्रयोग कर बैठा मैं यह शब्द अगर आपको बुरा लगा तो क्षमा करें। वैसे भीमैने हिन्दी व पंजाबी केवल आठवीं तक पढी है फिर सब कुछ यानि डॉक्टरी की पढाई इन्ग्लिश में करनी पड़ी इस हेतु भी मैन अनेक बार देसज शब्द [ लोक भाषा के शब्द प्रयोग कर बैठता हूं आपका आभारी श्याम सखा श्याम

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  4. बहुत सार्थक और सुंदर -बधाई- शुभकामनाएं
    !डॉ सरस्वती माथुर

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    1. आदरणीया गज़ल कबूलने हेतु आभार। ऐसी सराहना से लेखक की कलम प्रोत्साहित होती है।

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    1. आदरणीय गज़ल कबूलने हेतु आभार।

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  6. क्या खूबसूरत ग़ज़ल है! एक-एक पक्ष उजागर हो गया लड़कियों का....
    बहुत-बहुत सुंदर!
    ~सादर!!!

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    1. आदरणीया गज़ल कबूलने हेतु आभार। ऐसी सराहना से लेखक की कलम प्रोत्साहित होती है।

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  7. कथ्य की दृष्टि से सुन्दर रचना है पर एक विषय पर केन्द़ित होने से यह नज़्म के निकट पहंुच गई है । लेकिन जो विषय उठाया गया है
    वह यथार्थ और मनन के योग्य है । श्याम जी को बधाई देता हूँ ।

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    1. आदरणीय गज़ल कबूलने हेतु आभार। ऐसी सराहना से लेखक की कलम प्रोत्साहित होती है। आदरणीय आपने ठीक फरमाया कि गज़ल आम तौर पर हर शे‘र में अलग अलग बात कहने कि विधा है। मगर बहुत से गज़ल्कारों ने एक ही विषय पर गज़लें भी कही हैं और उस्तादों ने इस विधा को मुस्लसल गज़ल का नाम दिया है। अस्ल में मां शारदे की कृपा से एक रात में ‘स्त्री विमर्श पर ५६ कविताये लिखीं गईं थीं-जो संग्रह रूप में ‘औरत को समझने के लिये’’ के नाम से प्र्काशित हुई थीं तब इसे पढ़कर लगभग ५० मजिलाओ व एक पुरूष के खत मिले थे।आदरणीया चित्रा मुद्गल व डॉ० शुश्री शरद सिंह ने तो यहां तक लिख दिया था कि अब तक मेरा मानना था कि कोई पुरूष कभी स्त्रीमन को पूरा समझ ही नहीं सकता मगर अब मैं कह सकती हूं कि कुछ आप [ श्याम जैसे भी होते हैं] एक पुरूष थे भाई अशोक रावत जिन्होने लिखा था काश आपने ये कवितायें छंद में लिखी होतीं । बस अशोक भाई ही इस गज़ल के दोषी हैं मैं नहीं उनकी बात ने यह सब करवा दिया। पुन: आभार

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  8. बहुत गहनता से एक लड़की के जीवन के विभिन्न पक्ष उकेरने के लिए बधाई...|

    प्रियंका

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  9. कुछ अतिश्योक्ति के बावजूद एक सशक्त रचना...श्याम जी को बधाई.

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    1. आदराणीय गज़ल कबूलने हेतु आभार आप जैसे सुधिजन के शब्द लेखक की कलम का सम्बल हो जाते है- अगर अतिश्योक्ति कि तरफ़ इंगित करें तो आगे ऐसी गलती न हो।

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  10. श्‍याम बाबा बहुत अच्‍छे गजलकार हैं और मुहब्‍बती इंसान भी । बहुत अच्‍छी रचना है । बधाई

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    1. आदराणीय वैसे तो मनोज तुम मुझसे छोटे हो मगर इलीट भाषा में बाबा बच्चे को कहते है तो तुम स्वमेव आदरणीय हो गये फिलहाल गज़ल कबूलने हेतु आभार

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  11. jyotsna sharma11 March, 2013 17:43

    लडकियों के जीवन को अक्षरशः अभिव्यक्त करती बहुत सुन्दर रचना ...बहुत बधाई आपको !
    सादर !

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    1. आदराणीया गज़ल कबूलने हेतु आभार आप जैसे सुधिजन के शब्द लेखक की कलम का सम्बल हो जाते है

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  12. dil ke bhaavon ki ytharth va khoobsurat abhivyakti.

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  13. लड़कियों को लेकर श्याम जी ने अलग- अलग रूप में अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं। लड़कियों का जीवन हर दौर में इसी तरह के झंझावातों से भरा रहा हैं और न जाने कब तक भरा रहेगा?
    बधाई।

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    1. बड़ी तन्यमयता से पठन मनन हेतु आभार

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  14. shyam ji ki lekhni shayad sabhi ladkiyon ke man ki baat kah rahi hai .itni samvedna hai ki kya kahen
    ek ek shabd aur panktiyan ati sunder hain
    rachana

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    1. आदराणीया गज़ल कबूलने हेतु आभार आप जैसे सुधिजन के शब्द लेखक की कलम का सम्बल हो जाते है।
      जी वैसे कभी यह भी लिखा गया था।
      तेरे मन पहुंची नहीं मेरे मन की बात
      नाहक हमने थे लिये, साजन फेरे सात

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  15. Bahut sasakat rachana hai ye, bahut saare pahalun ko ujagar karti bahut2 badhai...

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    1. भावना जी आभार गज़ल की रूह तक जाने के लिये

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  16. सटीक दोहे। एक बेहद संवेदन शील और जागरूक इन्सान ही लड़कियों की सदियों से उपेक्षित, शोषित और व्यथित जिन्दगी का इतना मर्मस्पर्शी वर्णन कर सकता है। साधुवाद श्याम जी का।

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    1. जी आपका कहा सर माथे पर। शब्दों को दुलारने हेतु आभार आप जैसे सुधिजन के शब्द लेखक की कलम का सम्बल हो जाते है

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  17. सटीक और सारगर्भित दोहे। एक संवेदनशील और जागरूक व्यक्ति ही लड़कियों की व्यथित, उपेक्षित और शोषित जिन्दगी का ऐसा मर्मस्पर्शी चित्रण कर सकता है। साधुवाद श्याम जी का।

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  18. यह गजल एक ऐसी नदी है जिसमें लड़कियों की सम्पूर्ण जिन्दगी बहती नजर आती है । मानसिक उथल -पुथल ,हृदय पर पड़ी आड़ी तिरछी खून की लकीरें --सभी तो परिलक्षित होता है । कुछ ऎसी पंक्तियाँ हैं जिन्हें पढने को बार -बार मन करता है । बधाई!

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    1. आदरणीया आपके स्नेह हेतु नमन

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  19. ग़ज़ल के एक एक शब्द में जैसे जीती जागती स्त्री है, उसके होने के औचित्य और उसके बिखरने के तमाम पहलू... क्या कहा जाए आधी आबादी /आधी दुनिया के लिए तैतीसवाँ हिस्सा भी नहीं...

    क्यों नहीं तैतीसवां हिस्सा भी इसको दे रहे,
    आधे की हकदार गर है लड़कियों की जिन्दगी

    बहुत सशक्त रचना, बहुत बधाई और शुक्रिया.

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  20. श्याम सखा 'श्याम' जी ने अपनी इस मुसल्सल (शृंखलित) ग़ज़ल में लड़की की ज़िन्दग़ी को काँटो- भरी डगर और काँच का घर बताकर गहन पीड़ा और विवशता को रेखांकित किया है । नारी की यह अन्तहीन यात्रा आज पूरे देश के लिए और पुरुष की क्रूर मानसिकता को चुनौती है । सामाजिक विघटन को रोकने के लिए हमें मानवीय सरोकारों को और अधिक संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। यह ग़ज़ल आद्यन्त एक व्यथा-कथा को लेकर चली है, जिस पर सभी को विचार करने के साथ-साथ समाधान भी खोजना है। श्याम जी ने विषयवस्तु और अभिव्यक्ति का निर्वाह बहुत कुशलता से किया है । रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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  21. shyamji namste ,bhut bhut abhar prakat karti hoon ladkiyon ke bare main itna sochane ke liye . sach hi to kaha aapne poojne se nahin pyar se sanvaregi ladkiyon ki jindgi,bahut bhut badhai .

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