पथ के साथी

Saturday, October 13, 2012

बस इतना जानूँ


रामेश्वर काम्बोज ‘'हिमांशु

तुझे माँ कहूँ
या कहूँ वसुन्धरा
अतल सिन्धु
कल- कल सरिता
भोर- किरन
या मधुर कल्पना
बिछुड़ा मीत
या जीवन -संगीत
मुझे न पता,
बस इतना जानूँ-
तुझसे जुड़ा
जन्मों का मेरा नाता
आदि सृष्टि से
अब के  पल तक
बसी प्राणों में
धड़कन बनके
पूजा की ज्योति
तू आलोकित मन
तू है  मेरी अनुजा ।
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 13अक्तुबर-2012