पथ के साथी

Thursday, July 5, 2012

इक जीवन के नाम पर



 डॉ०स्वामी श्यामानन्द सरस्वती
1
जाने मेरा ही जिया ।
इक जीवन के नाम पर
मैं कितने जीवन जिया !
2
कण भर उनसे ॠण लिया
इसे चुकाने के लिए
मैं कितने जीवन जिया !
3
बोल आपके इस तरह
शुद्ध करे है फिटकरी
दूषित जल को जिस तरह ।
-0-
हाइकु
1
मारके ईंट
पूछ रहे हैं लोग-
‘’ लगी तो नहीं?’’
2
तोड़के दिल
कहती है दुनिया-
‘’अब मुस्करा !’’
3
विषैली दृष्टि
पेड़ पर क्या पड़ी
सूख ही गया ।
-0-
ताँका
उसकी पीड़ा
से कम  नहीं
उसकी पीड़ा
शब्दों में जब ढली
शब्द जलने लगे ।
-0-