पथ के साथी

Saturday, January 7, 2012

उन्हें पा गए


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

जब ज़िन्दगी थी, तब प्याला न था ।
जब साँसें मिलीं तब हाला न था ।
साँझ अब जीवन की चली आई,
देखा कि संग में उजाला न था ।
तभी कुछ पुराने मीत  आ गए ।
साँस जितनी बची , हमें भा गए ।
दो पल की खुशियाँ बनी ज़िन्दगी
आज मोड़ पर जब  उन्हें पा गए ।
 -0-