पथ के साथी

Wednesday, November 14, 2012

बौने दिन


12 comments:

  1. Bahut Pyaari Kavita Hai ...sapno ki sunder nagri mein le gayi sachmuch !.....Badhaaee !
    Dr. Saraswati Mathur

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  2. वाह !

    बौने दिन ... बहुत ही प्यारी रचना .... चित्र और कविता दोनों के दूसरे को पूर्ण करते हैं ....दिन सचमुच ही बौने होने लगे हैं आजकल ... आते आते पता नहीं कब ख़त्म भी हो जाते हैं ....

    सादर
    मंजु

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  3. सच में...बचपन के दिन भी कितने खूबसूरत होते हैं...। बहुत सुन्दर, बधाई...।
    प्रियंका

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  4. बहुत सुन्दर बाल-गीत पढ़ कर बचपन याद आ गया।

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  5. kitni sunder soch hai aur boune din ki upma to kamal hai
    rachana

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  6. अत्यंत लुभावना बालगीत ! वात्स्ल्य से सराबोर।

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  7. वाह, जाड़ा आने वाला है..

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  8. बहुत प्यारी रचना....बचपन लौटा लाई...
    सादर
    अनु

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  9. बौने दिन लंबी रातें... बहुत प्यारी रचना, शुभकामनाएँ.

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  10. बहुत सुंदर ..... दादी नानी की कहानियाँ याद आ गईं

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  11. ज्योत्स्ना शर्मा24 November, 2012 17:15

    बचपन की सैर कराती बहुत प्यारी रचना... बहुत बधाई आपको !!

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