पथ के साथी

Thursday, February 23, 2012

उदास न होना



-रामेश्वर काम्बोज ‘ हिमांशु

बहुत हैं बादल
घिरे अन्धेरे
उदास न होना
तुम चाँद मेरे।

आशा रखोगे
बादल छँटेंगे
दु:ख भी घटेंगे
होंगे सवेरे ।
-0-

अकेली छुअन
भिगो देगी मन
सींचेगी प्राण
द्वारे तुम्हारे ।

तेरा दु:ख सहूँ
मैं किससे कहूँ-
दे दो सभी दु:ख
मुझको उधारे।

लहरें तरसतीं
तट को परसतीं
ग्रहण लगा चाँद
सागर निहारे ।
-0-

13 comments:

  1. आशा रखोगे
    बादल छँटेंगे
    दु:ख भी घटेंगे
    होंगे सवेरे ।

    सकारात्मक भावपूर्ण रचना|

    ReplyDelete
  2. jeevan se bahut kareeb ...bahut sunder abhivyakti ....

    ReplyDelete
  3. तेरा दु:ख सहूँ
    मैं किससे कहूँ-
    ‘दे दो सभी दु:ख
    मुझको उधारे।”waah.....

    ReplyDelete
  4. लहरें तरसतीं
    तट को परसती
    ग्रहण लगा चाँद
    kamal ka bimb hai ek dam naya .isko ham chura lete hain theek hai na
    rachana

    ReplyDelete
  5. तेरा दु:ख सहूँ
    मैं किससे कहूँ-
    ‘दे दो सभी दु:ख
    मुझको उधारे।”...bahut hi sundar.....

    ReplyDelete
  6. सबेरे आयेंगे, हर रोज..
    सुन्दर उद्गार..

    ReplyDelete
  7. अकेली छुअन
    भिगो देगी मन
    सींचेगी प्राण

    ‘दे दो सभी दु:ख
    मुझको उधारे

    अद्भुत ... मन को कहीं गहरे तक छू जाती हैं ये पंक्तियाँ...
    सादर
    मंजु

    ReplyDelete
  8. Bahut apnatv se bhav bhari rachna bahut gambheer hai ...bahut2 badhai...

    ReplyDelete
  9. लहरें तरसतीं
    तट को परसतीं
    ग्रहण लगा चाँद
    सागर निहारे ...

    लाजवाब .... गज़ब के बिम्ब से सजाया है इस रचना को ... बहुत कमाल की रचना है ...

    ReplyDelete
  10. तेरा दु:ख सहूँ
    मैं किससे कहूँ-
    ‘दे दो सभी दु:ख
    मुझको उधारे।”.............
    लाजवाब .....कितना अपनापन है इन शब्दों में
    दिल को छू गई आपकी ये रचना !

    हरदीप

    ReplyDelete
  11. khud par yakeen rakhne ke liye prerit karte bhaav...
    बहुत हैं बादल
    घिरे अन्धेरे
    उदास न होना
    तुम चाँद मेरे।

    achchhi rachna ke liye badhai.

    ReplyDelete