पथ के साथी

Wednesday, December 14, 2011

आती न पाती(हाइकु)


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1

आती न पाती
हूक -सी उठ तेरी
याद रुलाती

2
घायल पाखी
उड़ा न गगन में
मिलता कैसे

3
सागर पार
बिन कश्ती कठिन
ज्यों इन्तज़ार।

4
जीवन-साँझ
सिमट गई धूप
बची है रात।