पथ के साथी

Saturday, December 24, 2011

विष से भरी बयार (दोहे)


       त्रिलोक सिंह ठकुरेला
किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।
कपट भरे हैं आदमी, विष से भरी बयार।
कितने मुश्किल हो गये, जीवन के दिन चार।।
खो बैठा है गॉंव भी, रिश्तों की पहचान ।
जिस दिन से महॅंगे हुए, गेहूँ, मकई, धान।।
खुशियाँ मिली न हाट में, खाली मिली दुकान।
हानिलाभ के जोड़ में, उलझ रहे दिनमान।।
चौराहे पर आदमी, जायेगा किस ओर।
खडे हुए हैं हर तरफ, पथ में आदमखोर।।
जीवन के इस गणित का, किसे सुनायें हाल।
कहीं स्वर्ण के ढेर हैं, कहीं न मिलती दाल।।
सीख सुहानी आज तक, आई उन्हें न रास।
तार- तार होता रहा, बया तुम्हारा वास।।
घर रखवाली के लिए, जिसे रखा था पाल।
वही चल रहा आजकल, टेढ़ी -मेढ़ी चाल।।
द्वारे -द्वारे घूमकर, आखिर थके कबीर।
किसको समझाएँ यहॉं, मरा आँख का नीर।।
शेर सो रहे माँद में, बुझे हुए अंगार।
इस सुषुप्त माहौल में, कुछ तू ही कर यार।।
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17 comments:

  1. किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
    माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।। bahut achchi prastuti.

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  2. बड़े ही रोचक दोहे, सामयिक व सटीक।

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  3. सुंदर दोहे ! बेहतरीन प्रस्तुति !

    आभार !

    मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ

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  4. बहुत सुन्दर, शानदार एवं रोचक दोहे! उम्दा प्रस्तुती!
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  5. किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
    माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।

    बहुत खूब...

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  6. त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी के ये दोहे बेमिसाल हैं… इतने सुन्दर दोहों को पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया।

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  7. त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी के ये दोहे बेमिसाल हैं… इतने सुन्दर दोहों को पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया।

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  8. bahut hi sundar,satik aur bhawpurn dohe....dhanyawaad.....

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  9. किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
    माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।

    bahut khub ! bemishaal...

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  10. सराहना के लिए सभी का आभारी हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग

    नया सवेरा (triloksinghthakurela.blogspot.com) पर भी आयें.

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  11. माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।

    बहुत सारगर्भित दोहे हैं सर....
    सादर.

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  12. द्वारे -द्वारे घूमकर, आखिर थके कबीर।
    किसको समझाएँ यहॉं, मरा आँख का नीर।।


    charch manch pr apki rachan padhane ka avsar prapt hua .. bahut sundr pravishti ... abhar.

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  13. बहुत सुंदर दोहे ,...अच्छी प्रस्तुती,
    क्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....

    मेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे

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  14. वातावरण प्रधान दोहे -बधाई .

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  15. जमीन से जुड़े बेहतरीन दोहे।

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