पथ के साथी

Monday, January 26, 2009

खून के रिश्ते ।


खून ही पीते रहे ये खून के रिश्ते ।
सदा ही रीते रहे ये खून के रिश्ते ॥

जोंक भी जीती सदा सबको पता कैसे ।
इसी तरह जीते रहे ये खून के रिश्ते ॥

घाव जो खाए भला कब ठीक वे होते ।
शूल से सीते रहे ये खून के रिश्ते ॥

वे समझते हैं हमें रोना नहीं आता ।
अश्क में बीते रहे ये खून के रिश्ते ॥

-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

5 comments:

  1. बहुत खूब..हर शेर पूरी बात कह रहा है, वाह!!

    आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  2. bahut bahiya,,,vicharo ka samandat...aur wyakt karne ka tareeka lajawaab.

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  3. अति सुंदर रामेश्‍वर जी। बधाई।

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  4. अति सुंदर रामेश्‍वर जी। बधाई।

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  5. सच कहा आपने ...ये रिश्ते होते ही ऐसे हैं... बहुत सुंदर ...एक से बढ़कर एक... बहुत-बहुत बधाई...

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