पथ के साथी

Saturday, January 10, 2009

भाषा के बल पर उन्नति

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
अंग्रेज़ी को राजनीति का पर्याय समझने वाले लोग आम आदमी से कितनी दूर हैं ,इसके लिए प्रमाण की ज़रूरत नहीं । किसी भाषा विशेष को जानने से राजनीति या कोई चीज़ खुद चलकर नहीं आ जाएगी ।पुराने कांग्रेसी कामराज कौन सी भाषा पढ़े थे ?इन्दिरा जी ,शास्त्री जी और बाजपेयी जी किस भाषा के कारण जनमानस से जुड़े रहे ? लालू जी और राबड़ी को मत भूल जाइये । इनकी ठेठ भाषा कितनी ताकतवर है ? सब जानते हैं ।एक अरब से अधिक संख्या वाला देश अगर अंग्रेजी के बिना बेवकूफ़ माना जा रहा है तो यह गरीब लोगों के पैसे पर आराम करने वालों की गहरी साजिश है ।राजभाषा हिन्दी में काम करने वालों के रास्ते में कौन रुकावट डाल रहा है ? विदेशी शक्तियाँ नही, वरन् वे भारतीय हैं ;जो मन से आज भी गुलामी ओढ़े हुए हैं । अंग्रेज़ी की खाल उतार देंगे तो असलियत का पता चल जाएगा । चुनाव के समय अंग्रेज़ी बोलकर वोट माँगे और जीत जाए ;है कोई ऐसा सूरमा ? यदि नहीं है तो इस देश के लोगों को बेवकूफ़ मत बनाइए । मोर्चे पर छाती खोलकर गोलियाँ खाने वाले कौन हैं? वे भारतीय भाषाओं की माटी से जुड़े लोग हैं ।जिसे अपनी भाषा( किसी भी भारतीय भाषा पर ) गर्व नहीं है ,उसे क्या कहा जाए ? जो जितनी भाषा जान ले उतना ही अच्छा है ;लेकिन हिन्दी जाननेवाला होने से वह दोयम दर्ज़े का नागरिक नहीं हो जाएगा । भाषा की हीन ग्रन्थि का ऐसा प्रभाव केवल भारत में ही देखने को मिलता है । रूस ,चीन ,जापान ,फ़्रांस आदि देशों ने किस भाषा के बल पर उन्नति की ?अमेरिका की अंग्रेज़ी का प्रतिफल इराक ,अफ़गानिस्तान तथा अन्य देश ही नहीं भुगत रहे हैं ,अमेरिका वाले भी भुगत रहे हैं । जितनी चाहे अंग्रेज़ी झाड़ो ,बुश जैसे महानुभाव अपनी बिल्ली का नाम ‘इण्डिया’ रखने से बाज नहीं आएँगे । हम अभी इतने गए-बीते नहीं हो पाए कि अपने कुत्ते का नाम बुश रखने लगें ।

2 comments:

  1. बहुत ही सार्थक ! कोई भी ताकतवर देश दूसरे की भाषा नहीं बोलता। कोई भी आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपनी भाषा में अपनी बात कहना चाहता है यदि उसे विकल्प न हों।

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  2. वाह ! भाई काम्बोज जी बहुत मार्के की बात लिखी आपने। भाषा की हीन ग्रन्थि का ऐसा प्रभाव केवल भारत में ही देखने को मिलता है । वोट की राजनीति करने वाले अपने वोट गांव शहर जाकर अंग्रेजी में वोट क्यों नहीं मांगते? वहाँ उन्हें हिंदी की कीमत और उसका महत्व इसलिए समझ में आता है क्योंकि उन्हें वोट बटोरने होते हैं।

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