पथ के साथी

Thursday, September 18, 2008

विरह गीत (कथात्मक)


विरह गीत (कथात्मक)



डॉ अवधेश मिश्र









(बड़ी बूढ़ी औरतें इस कथात्मक

गीत को गाने से मना करती हैं ।इस गीत की करुणा हृदय को पिंघलाने वाली है ।)

बारह बरस पीछै राजा घर आए

बैठो न बैठो मूढ़ला बिछाय हो

-क्या कुछ तो रे जिज्जा लाए हो कमाए कै

क्या कुछ लाए हो बसाए कै……

-पान सौ रुपए रै सालै ल्याया कमाए कै

ढ़ाई सौ की घड़ी बँधाई है …

- भूरी भैंस का री अम्मा दूध काढ़ियो

- हारे मैं खीर रँधयो री

- जितना पतीले मैं दूध घणा है

- उतना ही जहर मिलाइयो री…

- चलो जिज्जा जी भोजन जीम लो

करी रसोई ठण्डी हो गई है .…

कोट्ठे अन्दर खड़ी रै कामनी

वहीं से हाथ हिला रही हो …

- इस भोजन को पति मत जिमियो

सर पै काल घोर रह्या हो …

-आज तो साले जी मैं पुन्नो का बरती

कल को ही रोट्टी खाएँगे…

-चलो जिज्जा जी घुमण चाल्लैं

बनखण्ड के हो बीच रै …

इक बण लाख्या दूजा बण लाख्या

तीजै मैं कुल्हाड़ी उठाई हो …

पहली कुल्हाड़ी साला मारण लाग्या

हो लिये पेड़ों की ओट हो…

दूजी कुल्हाड़ी साला मारण लाग्या

ले ली हाथों की ओट हो…

तीजी कुल्हाड़ी साला मारण लाग्या

कर दिया सीस अलग हो

-सखी सहेलियाँ कट्ठी होय कै

चलो बन खण्ड के बीच हो …

इक बण लाख्या दूजा बण लाख्या

तीजे मैं लाश पति की हो…

-क्या तो पति जी तुमैं गोद उठा लूँ हो

क्या तुम्हैं छतियाँ से ल्यालूँ हो…

-जा रे बीरा तेरा नास रे होइयो

चढ़ती बेल उतारी हो…

किसकी तो रे बीरा सेज बिछाऊँ

किसके लाल खिलाऊँ हो…

-बीरा की ऐ ओब्बो सेज बिछाओ

भतीजे गोद खिलाओ हे…

-आग लगाऊँ बीरा तेरी सेज मैं

परे बगैलूँ भतीजों को हो…

मनिहार कृष्ण

मनिहार कृष्ण

 

नटवर नै भेस बनाया

ब्रज चूड़ी बेचने आया

कोई चूड़ी पहन लो छोरियो  ऽ ऽ ऽ…

सखियों ने सुना राधा से कहा

राधा ने झट बुलवाया ,

ब्रज चूड़ी बेचने आया।

राधा पहरन लगी

स्याम पहराने लगे

उसने कसकर हाथ दबाया,

ब्रज चूड़ी बेचने आया ।

राधा जाण गई

कोई छलिया है ये

चलिए ने छल दिखलाया,

ब्रज चूड़ी बेचने आया ।

नटवर नै भेस बनाया……

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झूला-गीत

 

झूला-गीत

गळियों तो गळियों री बीबी मनरा फिरै

हेरी बीबी मनरा को लेओ न बुलाय।

चूड़ा तो मेरी जान ऽ ऽ

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

काळी रे जंगाळी मनरा ना पहरूँ

काळे म्हारे राजा जी के बाळ

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

हरी रे जंगाळी मनरा ना पहरूँ

हरे म्हारे राजा जी के बाग,

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

धौळी  जंगाळी रे  मनरा ना पहरूँ

धौळा म्हारे राजा जी का घोड़ा,

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

 

लाल  जंगाळी रे  मनरा ना पहरूँ

लाल  म्हारे राजा जी के होंठ,

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

सासू नै सुसरा सै कह दिया

ऐजी थारी बहू बड़ी चकचाळ

मनरा  सै ल्याली दोस्ती,

चूड़ा तो हाथी दाँत का ।

 

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पनघट का गीत

 

पनघट का गीत

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई ह॥

कुएँ पै कोई ना,एक परदेसी छोहरा …

-पाणी वाळी पाणी पिला दे ,तुझै देखकै आया हो

हो इन बागों के मैं नींबू और केळे सी मिलाई…

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो।

-पाणी तो मैं जभी पिलाऊँ, माँज टोकणी ल्यावै

हो मेरी सुणता जइए बात बता दूँगी सारी हो…

बाबुल तो मेरा छाँव मैं बैट्ठा

अम्मा दे रही गाळी हो

हो मेरी भावज लड़ै लड़ाई ,इतनी देर कहाँ लाई ।

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो

-ना तेरा बाबुला छाँव मैं,ना तेरी अम्मा दे गाळी हो

हो ना तेरी भावज लड़ै

हो मेरी गूँठी ले जा

चल तेरी यही है निशानी,

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।

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पनघट पर जाना

 

पनघट पर जाना

 

-सासू पनिया भरन कैसे जाऊँ,रसीले दोऊ नैना ।

-बहू ओढ़ो चटक चुनरिया,सर पै राखो गगरिया

बहू मेरी छोटी नणद लो साथ, रसीले दोऊ नैना ।

-मन्नै ओढ़ी चटक चुनरिया,सर ऊपर रखी गगरिया

हेरी मन्नै छोटी नणद ली साथ, रसीले दोऊ नैना ।

-तू बैज्जा पीपल छैंया,मैं भर लाऊँ जल गगरिया

ननदी घर नी जाकर बोल-

भाभी के पनघट पै दोस्त। रसीले दोऊ नैना ।

मेरी ननदल बड़ी हठीली,एक-एक की दो-दो लगावै

बरसात मैं करूँ तेरी सादी

गरमी मैं करूँ तेरा गौणा

भेजकर ना लूँ तेरा नाम , रसीले दोऊ नैना

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अलगाव का दर्द

 

अलगाव का दर्द

 

-बेल्ला ले रही दूध का

मुट्ठी मैं ले रही बूरा

बैट्ठे होकै पीलो जी राजा

सगी नणदी के बीरा ।

-बेला रख दो दूध का

मुट्ठी का रख दो बूरा

सच्चमसच बताओ मेरी गोरी

क्यों रोई थी रात मैं ?…

-सच्चमसच बताऊँ  मेरे राजा

छोड़ चले परदेस  नैं…

-सुसरा धोरै रहियो ओ गोरी

सुसरा सूबेदार सै

-सुसरा धोरै कोन्नै रहती

सासू का घरबार सै…

-जेट्ठा धोरै रहियो ओ गोरी

जेट्ठा थाणेदार सै …

- जेट्ठा धोरै कोन्नै रहती

जेठाणी लड़ै दिन रात सै…

-देवरा धोरै रहियो ओ गोरी

देवरा थारा प्यार सै…

 -देवरा धोरै कोन्नै रहती

देवरा का क्या अतबार सै …

-पीहर मैं चली जइयो ओ गोरी

पीहर थारा गाम सै

-पीहर मैं ना जाऊँगी जी राजा जी

भाई-भौजियों का राज सै …

-कुएँ मैं गिर जइयो ओ गोरी

कुआँ थारे बार सै

-कुएँ मैं ना डूबूँ  जी राजा जी

कुएँ की म्हारै  आण सै…

-म्हारी गेलौं चलियो वै गोरी

तू मेरी प्यारी नार सै

-थारी गेलौं जाऊँगी राजा जी

तुम मेरे भरतार सै …

 

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