पथ के साथी

Friday, September 12, 2008

बहू की शर्त व ताकत


बहू की शर्त व ताकत
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैं उस पर रेल चला दूँगी।
जो सासू मेरी प्यार करै, मैं तेरे पाँव दबा दूँगी
जो सासू मेरी लड़ै लड़ाई , रोट्टी से तरसा दूँगी॥
कोठे ऊपर कोठड़ी…
जो जिठाणी प्यार करै, तेरा सारा काम करा दूँगी ।
जो जिठाणी लड़ै लड़ाई , दो चूल्हे करवा दूँगी ।
कोठे ऊपर कोठड़ी…
जो देवर मेरा प्यार करै,एम ए पास करा दूँगी।
जो देवर  मेरा लड़ै लड़ाई,मूँगफली बिकवा दूँगी।
जो सासू मेरी लड़ै लड़ाई…
जो नणदल मेरी प्यार करै ,तेरा ब्याह करा दूँगी
जो नणदल मेरी लड़ै लड़ाई, मैके  को तरसा दूँगी ।
जो सासू मेरी लड़ै लड़ाई…




पनघट


पनघट
मेरे सिर पै बण्टा टोकणी,मेरे हाथ में लेज्जू डोल
मैं पतळी सी कामिनी , मेरे हाथ में लेज्जू डोल
एक राहे मुसाफ़िर मिल गया
-छोरी प्यासे को दो पाणी पिलाय
मैं परदेसी दूर का।
-छोरे ना मेरी डूबै डोलची
छोरे ना मेरा निवै सरीर
मैं पतळी सी कामिनी …
-छोरे किसके हो तुम पावहणे
छोरे किसके हो लेवणहार ,
मैं पतळी सी कामिनी ,…
-छोरी बाप तेरे का मैं पावहणा
छोरी तेरा हूँ लेवणहार ,
मैं पतळी सी कामिनी ,…
-छोरे अब मेरी डूबै डोलची,
अब मेरा निवै सरीर
मैं पतळी सी कामिनी …
-छोरी अब कैसे डूबै तेरी डोलची
छोरी अब कैसे निवैं सरीर ,
तू पतली-सी कामिनी
-छोरे डुबक-डुबक डूबी डोलची
छोरे तुड़ मुड़ निवै सरीर,
मैं पतळी सी कामिनी …

कम उम्र का अधपढ़ा पति


(पढ़ाई पूरी किए बिना शादी कर लेने से  क्या दुर्गति होती है ,इस गीत में सहज भाव से बताया गया है ।पत्नी पढ़ी लिखी है। वह पति को खुद पढ़ा लेने की ज़िम्मेदारी लेती है पर सफल नहीं हो पाती है)

कम उम्र का अधपढ़ा पति
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच
परचा भूल गए मास्टर नै मारा रूल ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच
पति रोवण  लगे ये वे आए गोरी पास
-मास्टर ! क्यूँ मारा रे मेरा याणा सा भरतार
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच
बेब्बे यूँ मार्या ये कि नौंवीं हो गया फ़ेल ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच
-मास्टर यूँ न जाणै ओ ,तेरे से ज्यादा ज्ञान
मैं तो आप पढ़ा लूँगी ,हो दसवीं करादूँ पास
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
पति पढ़ण चले वे आए गोरी पास
हरफ़ भूल गए वो गोरी नै मारी लात
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
पति रोवण लगे ये वो आए अम्मा पास
बेट्टा चुप रह्वो रे, बहुओं का आग्या राज ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच


बिदाई गीत -3


बिदाई गीत -3
मत करो मन को उदास
मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।
दादस अपनी को मैं दादी कहूँगी
मेरी अम्मा दादी न आवैगी याद,
मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।
सासू को अपनी माता कहूँगी
मेरी अम्मा तुम न आओगी याद,
मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।
ससुरे को अपने पिताजी कहूँगी
पिता नहीं आएँगे याद ,
मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।
नणदिया को अपनी बहना कहूँगी
मेरि अम्मा  बहना न आएगी याद ,
मेरी अम्मा फिर से मिलूँगी ।

बिदाई गीत -2


बिदाई गीत -2
पिताजी काहे को ब्याही परदेस
हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया
डळा मारै उड़ जाएँ ,
काहे को ब्याही परदेस
हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ
जिधर हाँको हँक जाएँ ,
काहे को ब्याही परदेस
हम तो पिताजी थारे कमरे की ईंटें,
जिधर चिणों चिण जाएँ,
 काहे को ब्याही परदेस…

बिदाई गीत -1


बिदाई गीत -1
हेरी मेरा लम्बा सहेलियों का साथ
कि जिया न करै मेरा जाणै नै ।
हेरी मैं आई ससुर दरबार
सासड़ तो आई मुझै तारण नै
 हेरी मैंने मुड़-मुड़ दाबे री पाँव
कि सीस न दिया उस बैरण नै ।
हेरी मैंन्नै  पिस्या धड़ी भर चून
कि पीस लिया निरणों बासी नै
 हेरी मेरी सासू बड़ी चकचाल
रोट्टी तो धर आई ताळे  मैं
हेरी मैंन्नै छोटी नणद ली साथ
चढ़ गई पिया की अटारी हो ।
'हे जी हमैं क्यूँ लाए थे निरभाग
रोट्टी न मिलै थारै खाणे नै।'
'हेरी तौं चुप रहो मेरी नार
बरफ़ी तो ल्याया तेरे खाणे नै'
हेरी मेरी नीचे से बोली सास
बहू नै सिर पै बठ्या रह्या हो !  

'हेरी तू चुप रो मेरी माँ
घणे दिन रहली अकेली हो।'
बेट्टा ऐसे न बोल्लै तू बोल
बड़ा दुख ठाया तेरे होणे नै
हेरी अम्मा खाई थी सूँठ जवायण
बड़ी मस्ताई मेरे होणै नै ।