पथ के साथी

Thursday, September 18, 2008

पनघट का गीत

 

पनघट का गीत

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई ह॥

कुएँ पै कोई ना,एक परदेसी छोहरा …

-पाणी वाळी पाणी पिला दे ,तुझै देखकै आया हो

हो इन बागों के मैं नींबू और केळे सी मिलाई…

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो।

-पाणी तो मैं जभी पिलाऊँ, माँज टोकणी ल्यावै

हो मेरी सुणता जइए बात बता दूँगी सारी हो…

बाबुल तो मेरा छाँव मैं बैट्ठा

अम्मा दे रही गाळी हो

हो मेरी भावज लड़ै लड़ाई ,इतनी देर कहाँ लाई ।

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो

-ना तेरा बाबुला छाँव मैं,ना तेरी अम्मा दे गाळी हो

हो ना तेरी भावज लड़ै

हो मेरी गूँठी ले जा

चल तेरी यही है निशानी,

ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।

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