पथ के साथी

Sunday, March 9, 2008

मैं अभी हारा नहीं हूँ ।



मैं अभी हारा नहीं हूँ ।
जग अभी जीता नहीं है

मैं अभी हारा नहीं हूँ ।
फ़ैसला होने से पहले ,
हार क्यों स्वीकार कर लूँ ।
-गीतकार समीर

3 comments:

  1. फ़ैसला होने से पहले ,
    हार क्यों स्वीकार कर लूँ ।

    waah..waah

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  2. प्रेरक पंक्तियाँ समीर की-उत्साह देती हैं. आभार इन्हें पेश करने का.

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