पथ के साथी

Wednesday, December 19, 2007

खड़ी बोली के लोकगीत

1-जच्चा -गीत

जच्चा मेरी भोली –भाली री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
सास-नणद की चुटिया फाड़ै
आई गई का लहँगा री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै
आए- गए का खेस उतारै
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
जच्चा मेरी भोली –भाली री
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2- जच्चा -गीत
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो
बक्से चाबी मेरी चोटी मैं बाँध दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो
ननदण का नेग मेरी बहना को दिला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।

1 comment:

  1. "सहज साहित्य" में लोक गीतों को प्रकाशित कर आपने अच्छा काम किया है। धीरे-धीरे हमारे देश की यह अनुपम विरासत लुप्त होती जा रही है, इसे बचाया जाना चाहिए।

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