पथ के साथी

Wednesday, December 19, 2007

लोकगीत

रंग का गीत

एक रंगमहल की खूँट
जिसमें कन्या नै जनम लिया ।
बाबा तुम क्यों हारे हो
दादसरा म्हारा जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट…………
पोती तेरे कारण हारा हे
पोते के कारण जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………
उसके पिताजी को फिकर पड़ ग्या
पिताजी तुम क्यों हारे हो
ससुरा तो म्हारा जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………।
बेटी तेरे कारण हारा हे
बेटे के कारण जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………




काला पति



काले री बालम मेरे काले,
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ गए दिल्ली ससुर बम्बई,
काला गया री कलकता नगरिया ,
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए लड्डू ,ससुर लाए बर्फ़ी,
काला लाया री काली गाजर का हलुआ,
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए साड़ी , ससुर लाए अँगिया ,
काला लाया री ,काली साटन का लहँगा ,
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए गुड्डा ,ससुर लाए गुड़िया
काला लाया री ,काली कुत्ती का पिल्ला ,
काले री बालम मेरे काले ।
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