पथ के साथी

Saturday, July 21, 2007

वश में है

तुमने फूल खिलाए
ताकि खुशबू बिखरे
हथेलियों मे रंग रचें ।
तुमने पत्थर तराशे
ताकि प्रतिष्ठित कर सको
सबके दिल में एक देवता ।
तुमने पहाड़ तोड़कर
बनाई एक पगडण्डी
ताकि लोग मीठी झील तक
जा सकें
नीर का स्वाद चखें
प्यास बुझा सकें।
तुमने सूरज से माँगा उजाला
और जड़ दिया एक चुम्बन
कि हर बचपन खिलखिला सके
यह तुम्हारे वश में है ।
लोग काँटे उगाएँगे
रास्ते मे बिछाएँगे
लहूलुहान कदमों को देखकर
मुस्कराएँगे ।
पत्थर उछालेंगे
अपनी कुत्सित भावनाओं के
उन्हें ही रात दिन
दिल में बिछाकर
कारागार बनाएँगे।
पहाड़ को तोड़ेंगे
और एक पगडण्डी
पाताल से जोड़ेंगे
कि जो जाएँ
वापस न आएँ।
सूरज से माँगेगे आग
किसी का घर जलाएँगे।
यह उनके वश में है।
यह उनकी प्रवृत्ति है
वह तुम्हारे वश में है ।