tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post9048485481194790406..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : 687सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-11287504437461333412017-02-11T15:54:54.147+05:302017-02-11T15:54:54.147+05:30जेन्नी जी...बहुत सुन्दर बात...|
बचपन के दिन भी
क्...जेन्नी जी...बहुत सुन्दर बात...|<br /><br />बचपन के दिन भी<br />क्या अमीरी के दिन थे।<br />इससे तो शायद हर कोई सहमत होगा...|<br /><br />आप दोनों को हार्दिक बधाई...|<br />प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-56924830142819237712016-12-04T09:29:23.409+05:302016-12-04T09:29:23.409+05:30बुझ क्यों नहीं जाता है सूरज
क्यों चारों पहर ये ...बुझ क्यों नहीं जाता है सूरज <br />क्यों चारों पहर ये जलता है, <br />दो पल चैन से सो लूँ मैं भी <br />क्या उसका मन नहीं करता है?<br /> बहुत सुन्दर रचना..... बधाई मंजूषा जी !!!<br /> <br /> <br />Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-45125544566862059652016-11-27T19:51:32.698+05:302016-11-27T19:51:32.698+05:30मेरी रचना को यहाँ स्थान एवं सम्मान मिला काम्बोज भा...मेरी रचना को यहाँ स्थान एवं सम्मान मिला काम्बोज भाई का हृदय से धन्यवाद. मेरी रचना को आप सभी का स्नेह और प्रशंसा मिली, तहे दिल से आभारी हूँ. <br />मंजूषा जी की रचना बचपन की याद दिला गई. 5 पैसे में भी अमीरी का एहसास होता था बचपन में. बहुत सुन्दर रचना बधाई मंजूषा जी को. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-44895362896726838402016-11-20T23:23:35.937+05:302016-11-20T23:23:35.937+05:30कभी गुर्राता कभी मुस्काता
खेल धूप-छाँव का चलता ...कभी गुर्राता कभी मुस्काता <br />खेल धूप-छाँव का चलता है, <br />आँखें बड़ी-सी ये मटकाता <br />जब बादलों में वह छुपता<br /><br /><br />कितना प्यारा चित्रण <br />जेन्नी जी बधाई <br />Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30742953663381060562016-11-20T23:21:22.673+05:302016-11-20T23:21:22.673+05:30बचपन की दुनिया को साकार करती बहुत प्यारी कविता .. ...बचपन की दुनिया को साकार करती बहुत प्यारी कविता .. बधाई Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-29821909587220560932016-11-19T18:14:54.733+05:302016-11-19T18:14:54.733+05:30वाह, क्या बात है वाह, क्या बात है Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-29800093487838503952016-11-18T12:44:21.636+05:302016-11-18T12:44:21.636+05:30वाह! बहुत सुंदर रचनाएँ दोनों !
सूरज के बारे में हम...वाह! बहुत सुंदर रचनाएँ दोनों !<br />सूरज के बारे में हम कहाँ कभी सोचते हैं -बहुत सुंदर वर्णन जेन्नी जी!<br />बचपन के उस सिक्के के आगे सारी दौलत फीकी है -बिल्कुल सही कहा मंजूषा जी !<br />आप दोनों को हार्दिक बधाई !!!<br /><br />~सादर <br />अनिता ललित Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-42715677981223246052016-11-18T03:41:38.672+05:302016-11-18T03:41:38.672+05:30जेन्नी जी क्या सोच है सूरज के प्रति आप की ? सूरज प...जेन्नी जी क्या सोच है सूरज के प्रति आप की ? सूरज पर तरस करते कोमल भाव अच्छे लगे । <br />उसके कार्यों का बाखूब वर्णन किया आप ने ।बधाई ।<br />मंजूषा मन जी बचपन सच में अमीरी के दिनों वाला होता है ।ना कोई फिकर न दिन भर करने को काम । खेलो खायो मस्त रहों । बहुत अच्छा लिखा । बधाई ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-48164013220844484592016-11-17T20:07:13.272+05:302016-11-17T20:07:13.272+05:30बहुत सुंदर बहुत सुंदर Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30810886021827354912016-11-17T16:01:15.232+05:302016-11-17T16:01:15.232+05:30जेन्नी जी बहुत सुंदर रचना ...बुझ क्यों नहीं जाता ह...जेन्नी जी बहुत सुंदर रचना ...बुझ क्यों नहीं जाता है सूरज <br />क्यों चारों पहर ये जलता है ...अति सुंदर <br /><br />मंजूषा जी बहुत सुंदर बालमन की रचना ये रचना दोबारा पढने का सोभाग्य प्राप्त हुआ ..बचपन के दिन भी<br />क्या अमीरी के दिन थे...सच में वो अमीरी आपकी रचना से याद आ गई <br />सुनीता काम्बोजhttps://www.blogger.com/profile/03287350410187694457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-76816678918987549842016-11-17T12:18:46.830+05:302016-11-17T12:18:46.830+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..... very nice ... Thank...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..... very nice ... Thanks for sharing this!! :) :)HindIndiahttp://www.hindindia.com/service-to-parents-is-service-to-god-in-hindi/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-33673255134992448962016-11-17T04:49:00.773+05:302016-11-17T04:49:00.773+05:30डॉ जेन्नी जी बुझ क्यों नहीं जाता सूरज और मंजूषा जी...डॉ जेन्नी जी बुझ क्यों नहीं जाता सूरज और मंजूषा जी की बचपन की अनेक यादों को मन में समाये कविता ने मन मोह लिया हार्दिक बधाई |सविता अग्रवाल 'सवि'https://www.blogger.com/profile/18325250763724822338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-26089293136104713162016-11-16T12:28:00.580+05:302016-11-16T12:28:00.580+05:30डॉ.जेनी जी यथार्थ पर आधारित सृजन
मंजूषा जी मार्मिक...डॉ.जेनी जी यथार्थ पर आधारित सृजन<br />मंजूषा जी मार्मिक सृजनDr.Purnima Raihttps://www.blogger.com/profile/01017846358964709625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-87828810058485416852016-11-15T18:28:39.644+05:302016-11-15T18:28:39.644+05:30दोनों रचनाएं बहुत मन मोहक! जेन्नी जी, मंजूषा जी आप...दोनों रचनाएं बहुत मन मोहक! जेन्नी जी, मंजूषा जी आप दोनों को बहुत बधाई।Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-66430335177783625102016-11-15T16:56:36.088+05:302016-11-15T16:56:36.088+05:30लेखिका द्वय को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई, सुन्दर...लेखिका द्वय को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई, सुन्दर रचनाएँ नीलाम्बरा.comhttps://www.blogger.com/profile/05792893886774411412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-20719369716703041792016-11-15T16:01:29.583+05:302016-11-15T16:01:29.583+05:30बुझ क्यों नहीं जाता है सूरज...
डॉ जेन्नी शबनम
कल्...बुझ क्यों नहीं जाता है सूरज...<br />डॉ जेन्नी शबनम <br />कल्पनात्मक , नई सोच उत्कृष्ट कविता <br /> बचपन- मंजूषा मन <br />असर छोड़ती पंक्ती <br /> आप दोनों को बधाई Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.com