tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post8127878186725097638..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : कुछ गीत मधुर गुनगुनाएँ-कमला निखुर्पासहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-44995384132389785352012-09-19T21:28:40.790+05:302012-09-19T21:28:40.790+05:30
क्या खूब लिखा है कमला जी
आओ इंडिया व...<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />क्या खूब लिखा है कमला जी <br />आओ इंडिया वालो अब भारत के रंग में रंग जाएँ <br /><br />मिलकर अपनी भाषा के कुछ गीत मधुर गुनगुनाएँ <br /><br />सच में इंडिया की संज्ञा में भारत गुम हो गया है. बहुत सुंदर गीत है. बधाई.<br /><br />सादर,<br /><br />अमिता कौंडलamita kaundalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-48415518012099320292012-09-19T09:09:00.468+05:302012-09-19T09:09:00.468+05:30इंडिया को भारत के रंग में रंगती बहुत प्रभावी रचना ...इंडिया को भारत के रंग में रंगती बहुत प्रभावी रचना है ....<br /><br />हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी<br />मन में गीता का ज्ञान बसे |............<br /><br />आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,<br />मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाएँ|<br />रसखान के गिरिधर नागर संग<br />मीरा के मन की पीर हरें|<br />हम गंगा तट के वासी, क्यों सागर से अपनी प्यास बुझाएँ,.....सचमुच भावों का सागर हैं आपकी पंक्तियाँ...आत्मा को तृप्त करती ...बधाई<br />ज्योत्स्ना शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-25344534683823010632012-09-18T14:54:02.371+05:302012-09-18T14:54:02.371+05:30बहुत सुन्दर आह्वाहन, इंडिया से भारत की यात्रा...
...बहुत सुन्दर आह्वाहन, इंडिया से भारत की यात्रा... <br />आओ इंडिया वालो अब भारत के रंग में रंग जाएँ<br />मिलकर अपनी भाषा के कुछ गीत मधुर गुनगुनाएँ |<br /><br />सार्थक रचना के लिए बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-40698974739363594692012-09-17T09:08:53.392+05:302012-09-17T09:08:53.392+05:30हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी
मन में गीता का ज्ञान...हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी<br />मन में गीता का ज्ञान बसे |<br />bahut sundar bhaav ...!!<br />shubhkamnayen.Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-51800987027204104972012-09-16T08:21:27.367+05:302012-09-16T08:21:27.367+05:30जितनी मिठास हमारी मातृभाषा में है, उतनी ही प्यारी ...जितनी मिठास हमारी मातृभाषा में है, उतनी ही प्यारी ये पंक्तियाँ भी है...।<br />इस पंक्ति में इंडिया और फिर भारत के प्रयोग ने जैसे बिन बोले ही बहुत कुछ कह दिया...।<br />आओ इंडिया वालो अब भारत के रंग में रंग जाएँ...<br />बहुत बधाई...।<br />प्रियंका गुप्ताप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-45990648026686594772012-09-15T18:50:19.243+05:302012-09-15T18:50:19.243+05:30मधुर गीत...
भाषा की बगिया में माली बना देवनागरी......मधुर गीत...<br />भाषा की बगिया में माली बना देवनागरी...हमारी हिन्दी गुलाब बन खिलता ही जाए<br />हो शपथ और प्रयास हमारा|<br />शुभकामनाएँ !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-32602545472321506812012-09-15T16:54:01.587+05:302012-09-15T16:54:01.587+05:30आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,
मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाए...आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,<br />मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाएँ|<br />रसखान के गिरिधर नागर संग<br />मीरा के मन की पीर हरें|...<br /><br />काश सब मिल के इस को साकार कर सकें ... देश स्वर्ग बन जाए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-68082755828060315802012-09-15T12:17:46.847+05:302012-09-15T12:17:46.847+05:30
आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,
मंदिर-मस्जिद के भेद भुला...<br />आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,<br />मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाएँ|<br />रसखान के गिरिधर नागर संग<br />मीरा के मन की पीर हरें|<br />हम गंगा तट के वासी, क्यों सागर से अपनी प्यास बुझाएँ,<br />अपनी भाषा के परचम को लहरा, क्यों न विश्वगुरु कहलाएँ |<br /><br />bahut hi sundar sakaratmak sarthak post shashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-57339650929233286592012-09-15T10:58:32.254+05:302012-09-15T10:58:32.254+05:30बहुत सुंदर व मधुर रचना !
~हम हिंदवासी ... हिन्दी क...बहुत सुंदर व मधुर रचना !<br />~हम हिंदवासी ... हिन्दी के मधुर रस अपने दिल में घोलें आओ,<br />मिलाके सारे सुर-ताल चलो.. दिल से अपनी धुन गुनगुनाएँ आओ....~Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-69192857254100890092012-09-15T09:46:56.401+05:302012-09-15T09:46:56.401+05:30बहुत प्यारी कविता है... कमला जी को इतनी भावपूर्ण र...बहुत प्यारी कविता है... कमला जी को इतनी भावपूर्ण रचना के लिए बधाई... हिंदी दिवस की शुभकामनाओं सहित<br />सादर<br />मंजु <br />(manukavya.wordpress.com)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-32870497701386812892012-09-15T04:19:37.620+05:302012-09-15T04:19:37.620+05:30हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी मन में गीता का ज्ञान...हो वेद मन्त्रों से भोर सुहानी मन में गीता का ज्ञान बसे |ममता के आँगन में खेले हर बालक कान्हा बन जाए|<br />हिन्दी का यशोगान करती सुन्दर पंक्तियाँ | बधाई तथा हिन्दी दिवस पर अशेष शुभकामनाएं |Shashi Padhanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-72468022022537798462012-09-15T04:13:59.654+05:302012-09-15T04:13:59.654+05:30आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,
मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाए...आओ ओढ़ें कबीरा की चादर,<br />मंदिर-मस्जिद के भेद भुलाएं| <br />रसखान के गिरिधर नागर संग <br />मरा के मन की पीर हरें| <br />हम गंगा तट के वासी, क्यों सागर से अपनी प्यास बुझाएं, <br />अपनी भाषा के परचम को लहरा, क्यों न विश्वगुरु कहलाएं |<br /><br />खूबसूरत रचना के लिए <br />कमला जी को बधाई।<br />कृष्णा वर्मा<br /><br /><br /> <br /><br />Anonymousnoreply@blogger.com