tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post6418685175396260230..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : मेरी पसन्द सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-74779854104007596132008-10-01T23:10:00.000+05:302008-10-01T23:10:00.000+05:30हजार बार ज़माना इधर से गुजरा है,मगर नई सी लगे है ये...हजार बार ज़माना इधर से गुजरा है,<BR/>मगर नई सी लगे है ये राहगुज़र फ़िर भी।<BR/>तेरी निगाह से बचने में उम्र गुजारी है ,<BR/>उतर गया रगेजां में ये नेश्तर फ़िर भी।एस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.com