tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post5512887613960524310..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : ताँका गीतसहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-81968169592911310782017-01-28T12:24:38.092+05:302017-01-28T12:24:38.092+05:30बहुत ही सुंदर सृजनबहुत ही सुंदर सृजनSatya sharmahttps://www.blogger.com/profile/16220283562585438725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-1069853502700172992015-06-20T03:07:18.932+05:302015-06-20T03:07:18.932+05:30शब्दों के मोतियों से सजी यह माला ,भाव सरिता बन जो ...शब्दों के मोतियों से सजी यह माला ,भाव सरिता बन जो उमड़ी ,उमड़ती ही चली गयी। बहा गयी प्यार ,विरह और सांत्वना की त्रिवेणी। कितनी गहराई में डूबकर रची गयी है यह रचना। काव्य जगत को सुंदर रचना से माला माल करने वाली। वधाई रामेश्वर जी। पहली बार आप का लिखा कुछ पढ़ा। भाव विभोर हुई। <br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-76161471556161828132011-05-14T09:46:42.179+05:302011-05-14T09:46:42.179+05:30एक एक शब्द को बहुत ही सुन्दरता से भावों में पिराया...एक एक शब्द को बहुत ही सुन्दरता से भावों में पिराया है. आपकी हर एक रचना से बहुत कुछ सीखती हूँ मैं. आंसुओं को अलग- अलग भावों में बहुत सुंदर बांधा है आंसू सागर से भारी भी हैं और यही आंसू अनमोल मोती भी हैं. बहुत सुंदर लिखा है रामेश्वर भैया.<br /><br />प्राण हो मेरे<br />अब न रोना कभी<br />आँसू तुम्हारे<br />हैं सागर पे भारी<br />घुमड़ते ये घन <br /><br />मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन <br /><br />सादर<br />अमिता कौंडलamita kaundalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-4543551088670177672011-05-12T23:18:12.217+05:302011-05-12T23:18:12.217+05:30एक एक शब्द को बहुत ही सुन्दरता से भावों में पिराया...एक एक शब्द को बहुत ही सुन्दरता से भावों में पिराया है. आपकी हर एक रचना से बहुत कुछ सीखती हूँ मैं. आंसुयों को अलग अलग भावों में बहुत सुंदर बांधा है आंसू सागर से भारी भी हैं और यही आंसू अनमोल मोती भी हैं. बहुत सुंदर लिखा है रामेश्वर भैया.<br />प्राण हो मेरे<br />अब न रोना कभी<br />आँसू तुम्हारे<br />हैं सागर पे भारी<br />घुमड़ते ये घन <br /><br />मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन <br /><br />सादर<br />अमिता कौंडलamita kaundalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-37010395592418907022011-05-06T13:04:08.156+05:302011-05-06T13:04:08.156+05:30बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब र...बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-15700828705455882812011-05-06T12:17:55.508+05:302011-05-06T12:17:55.508+05:30रोया नहीं मैं
कि पथ में शूल हैं,
नहीं झिझका
कि नभ ...रोया नहीं मैं<br />कि पथ में शूल हैं,<br />नहीं झिझका<br />कि नभ में धूल है<br />या है कोई चुभन ।3<br />जीवन की सही राह दिखाती पंम्क्तियाँ।<br />मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन ।<br /> पूरा गीत बहुत सुन्दर है। कम्बोज भाई ये ताँका गीत क्या होता है पहली बार सुना है। क्या इसके बारे मे भी कुछ बतायेंगे।? शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-27307428751371307392011-05-06T04:29:46.790+05:302011-05-06T04:29:46.790+05:30aadarniy sir
kya likhun-----
aapki xhanikaon neto...aadarniy sir <br />kya likhun-----<br />aapki xhanikaon neto man ke tar-tar baja diye <br />sari ki saari xhanikaye laybaddh si hokar ek dhara me baha le gai .aur main usme dubti utrati chali gai.<br />bahut hi behatreen <br />,shabdo ki moti aisi chuni <br />jaise koi nageena<br />kisi ek ki kya baat karun <br />har xhanikaye de rahi prerana.<br />bahut hi badhiya prastuti <br />hardik abhinadan<br />avam sadar naman<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-26865234910213117722011-05-03T21:46:50.636+05:302011-05-03T21:46:50.636+05:30अद्भुत रचना !! बहुत ही सुन्दर भाव, "आँसू तुम...अद्भुत रचना !! बहुत ही सुन्दर भाव, "आँसू तुम्हारे हैं/ सागर पे भारी" "मोती ये तेरे / इनको खोना नहीं/ यूँ रोना नहीं"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-6545457999215904262011-05-03T19:16:42.440+05:302011-05-03T19:16:42.440+05:30आपकी कलम से निकले ये ताँका गीत अनुपम हैं। आपका यह ...आपकी कलम से निकले ये ताँका गीत अनुपम हैं। आपका यह अनुपम सृजन निश्च्य ही नये लोगों में प्रेरणा फूंक रहा है… बधाई !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-7569133528145316002011-05-03T03:26:28.937+05:302011-05-03T03:26:28.937+05:30मोती ये तेरे
इनको खोना नहीं
यूँ रोना नहीं
लोग चाहत...मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन ।<br /><br />is rachna ke liye mere paas shabd nahi han...lagta ha logon ki soch ko kore page par ukerkar jase unko hakikat ki paridhi men la khada kiya ....bahut2 badhai...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-47113721800197336892011-05-02T19:00:48.586+05:302011-05-02T19:00:48.586+05:30हों नैन गीले
टिका लो माथा यह
काँधे पे मेरे
प्रतिक...हों नैन गीले<br />टिका लो माथा यह<br />काँधे पे मेरे<br />प्रतिकूल है जग<br />मैं करूँगा सहन ।<br />shbd hai ki bhavna ki bunden.<br />man ke aangan me chham se kuden.<br /><br /> थके न काँधे<br />कभी बोझ से किसी<br />दूर आ गया ,<br />तुम्हारे आँसुओं में<br />डूबा पाहन -मन । <br />aansun ki mar jeevan bhar yad rahti hai pr kabhi kabhi man patthar ho jata hai ya karna padta hai<br />is anmol khajane ke keliye kuchh bhi likhna mushkil hai.ambhavan<br />saader<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-71539901308368389842011-05-02T18:48:55.120+05:302011-05-02T18:48:55.120+05:30यहाँ तो भावों की पवित्र धारा बहती जा रही है और मन...यहाँ तो भावों की पवित्र धारा बहती जा रही है और मन उनमें डूबता चला जा रहा है |<br />मन के भावों को अक्षरों की माला में पिरोना तो कोई आपसे सीखे !<br />जब कुछ और कहने को शब्द न मिलें तो एक ही शब्द सब कुछ कह देता है ....<br />वाह ! वाह !<br />मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन ।<br /> आखिरी ताँका के जवाब में कुछ ऐसा कहा जा सकता है ...<br />आँसू जो मेरे <br />बन गए थे मोती <br />लिए सँभाल <br />जब साथ रब हो<br /> लोगों की क्या मज़ाल !Shabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-55106380988530623252011-05-02T18:42:15.258+05:302011-05-02T18:42:15.258+05:30यहाँ तो भावों की पवित्र बहती जा रही है और मन उनमे...यहाँ तो भावों की पवित्र बहती जा रही है और मन उनमें डूबता चला जा रहा है |<br />मन के भावों को अक्षरों की माला में पिरोना तो कोई आपसे सीखे !<br />जब कुछ और कहने को शब्द न मिलें तो एक ही शब्द सब कुछ कह देता है ....<br />वाह ! वाह !<br />मोती ये तेरे<br />इनको खोना नहीं<br />यूँ रोना नहीं<br />लोग चाहते नहीं-<br />खिले कोई चमन ।<br /> आखिरी ताँका के जवाब में कुछ ऐसा कहा जा सकता है ...<br />आँसू जो मेरे <br />बन गए थे मोती <br />लिए सँभाल <br />जब साथ रब हो <br />लोगों की क्या मज़ाल !Hardeep Kaur Sandhuhttp://shabdonkaujala.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-25809271885779456922011-05-02T17:28:59.215+05:302011-05-02T17:28:59.215+05:30बहा जो नीर, कह गया था पीर, मैं था अधीर, बींध गया थ...बहा जो नीर, कह गया था पीर, मैं था अधीर, बींध गया था मन, अधरों का कम्पन,<br />मर्मस्पर्शी रचना…<br />छंद का बंधन भी, रोक ना पाया, भावों की उमड़न्…<br />कल कल छल छल कर, बहती जा रही है नदी तांका की।Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-81248183066296792702011-05-02T14:57:08.390+05:302011-05-02T14:57:08.390+05:30pahli baar main taanka padh rahi, jaise haaiku bhi...pahli baar main taanka padh rahi, jaise haaiku bhi pahli baar aapse hin samjhi. sabhi haaiku bahut bhaavpurn... <br />रोया नहीं मैं<br />कि पथ में शूल हैं,<br />नहीं झिझका<br />कि नभ में धूल है<br />या है कोई चुभन<br /><br />bahut shubhkaamnaayen aur badhai kamboj bhai.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.com