tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post4758819554648766489..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : तुम ग्लेशियर हो !सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-27399959165571217522010-11-06T18:58:32.051+05:302010-11-06T18:58:32.051+05:30प्रतीकों के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति अति सुन्...प्रतीकों के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति अति सुन्दर है |<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-24359533221043643362010-10-30T10:35:48.328+05:302010-10-30T10:35:48.328+05:30मैं सभी का आभारी हूँ । मेरी कविता पर की गई टिण्णिय...मैं सभी का आभारी हूँ । मेरी कविता पर की गई टिण्णियाँ अपने आपमें मेरी कविता से भी बेहतर कविताएँ बन गई हैं । सभी का हार्दिक आभार ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-87965124186859739862010-10-28T19:41:46.801+05:302010-10-28T19:41:46.801+05:30वाह ! वाह ! मज़ा आ गया...। पढ़ रही थी काम्बोज जी क...वाह ! वाह ! मज़ा आ गया...। पढ़ रही थी काम्बोज जी की कविता और उसमें भावना जी और हरदीप जी की कविताओं का भी आनन्द उठाने का मौका मिला...। आप तीनों को बहुत बधाई...और आगे भी ऐसी ही खूबसूरत जुगलबन्दी की शुभकामनाएँ...।<br /><br />प्रियंकाप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-20333738045222319892010-10-21T15:49:53.857+05:302010-10-21T15:49:53.857+05:30बहन मुमताज़ ्जी और सम्मानीय भाई खान साहब !
आप दोनों...बहन मुमताज़ ्जी और सम्मानीय भाई खान साहब !<br />आप दोनों की बात पूरी तरह सही है । मैं तो यही कह सकता हूँ-<br />जहाँ होता है अपनापन <br />वहाँ होती ही नहीं चुभन ।<br />शूल वहाँ बन जाते फूल<br />आग बनती शीतल चन्दन ।<br />रामेश्वर काम्बोजसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-20986163019110343542010-10-21T15:31:41.138+05:302010-10-21T15:31:41.138+05:30Respected Sir,"TUM GLACIER HO", bahut su...Respected Sir,"TUM GLACIER HO", bahut sunder kavita hai. Glacier ke tapne aur pighalney ko bahut sundar shabdon mein likha hai.Aap ki kavita parhney ke baad hamara man kuch is tarah kehta hai ki,<br /><br />jab milta hai kisi se apnapan<br />door ho jati har phans ki chubhan<br />peerh nahin kar pati sajal nayan<br />glacier ka barhta hai sheetalpan.<br /><br /><br />From :- Mumtaz & T.H.KhanMumtaz and T.H.Khanhttps://www.blogger.com/profile/15310671155456878687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-57991418700792548172010-10-20T19:08:10.078+05:302010-10-20T19:08:10.078+05:30सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुती! ...सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुती! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-59574586253006734182010-10-18T21:11:26.843+05:302010-10-18T21:11:26.843+05:30Kamoj ji bahut hee sunder kavita hai apki, pad kar...Kamoj ji bahut hee sunder kavita hai apki, pad kar laga ki yeh hum sabh ki hi kahani hai.<br /><br />कर देता है सजल नयन !<br />जो लोग तुम्हें जान नहीं पाते,<br />इसलिए वे पहचान नहीं पाते<br />कि घाटियों में ठोकरें खाकर<br />नीचे गिरते झरने <br />बल खाती साँप –सी विरल जल की सरिताएँ<br />कितनों को सुख पहुँचाते हैं !<br />लेकिन सुखों का स्वाद लेने वाले<br />इसे कब समझ पाते हैं -<br />ग्लेशियर का पिंघलना<br />घाटियों से बूँद-बूँद जल का रिसकर<br />धारा में बदलना<br />नदी बनकर सागर तक का सफ़र पूरा करना ।<br />तुम तो ग्लेशियर हो !surjithttps://www.blogger.com/profile/08665583467852567928noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-53417678988867944972010-10-15T14:00:07.014+05:302010-10-15T14:00:07.014+05:30बहिन भावना जी और हरदीप जी !आपने तो बहुत अच्छा लिखा...बहिन भावना जी और हरदीप जी !आपने तो बहुत अच्छा लिखा है । सबका अपना-अपना अनुभव होता है , आप दोनों ने काम्बोज जी को भी पीछे छोड़ दिया है ।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/06373390098634030074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-35618131539047782472010-10-15T02:02:55.526+05:302010-10-15T02:02:55.526+05:30हाँ सच है ये कि हो जाती है पहचान
पर जब तक पहचान हो...हाँ सच है ये कि हो जाती है पहचान<br />पर जब तक पहचान होती है<br />तब तक हम मिट चुके होते हैं<br />डूब चुके होते हैं उसकी बनाई<br />सपनों की दुनिया में<br />अपाहिज हो जाता है हमारा वज़ूद<br />बिना उसके<br />और आदत बन जाती है<br />उसके साथ जीने की <br />और उस वक्त उसका इस कदर बेगाना पन?<br />इतना अविश्वास <br />इतनी कट्टरता <br />जीने लायक छोड़ता ही कहाँ <br />खत्म हो जाती है वो सपनों जैसी दुनिया<br />और बचते हैं कुछ अवशेष<br />जिनको चुनना भी किसी को गवारा नहीं होता<br />कौन बिखरी टूटी साँसों को गले लगाता है<br />यहाँ जिंदा चलती फिरती लाशों को भी <br />लोग अपना कहने से कतराते हैं...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-9322997357906116412010-10-14T15:15:40.493+05:302010-10-14T15:15:40.493+05:30रामेश्वर जी और भावना जी,
आपकी बात को आगे बढ़ाते हु...रामेश्वर जी और भावना जी,<br />आपकी बात को आगे बढ़ाते हुए मैं कुछ यूँ कहना चाहती हूँ.....<br />आहत होता है मन<br />जब कोई अपना दे जाता है<br />फाँस की चुभन.........<br />..............<br />फाँस की चुभन<br />कर जाती है सजल नयन<br />बह जाता है दु:ख सारा<br />जो कभी था ही न तुम्हारा<br />आँखों में आई नमी<br />धो डालती है<br />आँखो की धूल<br />फिर तुम नहीं करते<br />किसी को<br />पहचानने में भूल<br />साफ़ हुई आँखो से<br />तुम ज़्यादा देख पाते हो<br />सब को पहचान जाते हो.....Shabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-13009714943561820772010-10-14T09:10:16.297+05:302010-10-14T09:10:16.297+05:30भावना बहिन एक गीतकार ( शायद समीर) ने कहा है - ...भावना बहिन एक गीतकार ( शायद समीर) ने कहा है - जगाभी जीता नहीं है , मैं अभी हारा नहीं हूँ । फ़ैसला होने से पहले हार क्यों स्वीकार कर लूँ॥<br />-हम लोग बनावटी हितैषी नहीं हैं , आपकी निराशा को दूर करेंगे । आपके रास्तों पर उजाले का नूर भरेंगे ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-51626298666581623662010-10-14T08:58:06.265+05:302010-10-14T08:58:06.265+05:30बहुत गज़ब...वाह!बहुत गज़ब...वाह!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-21318461997151542032010-10-14T07:33:38.488+05:302010-10-14T07:33:38.488+05:30आहत होता है मन
जब कोई अपना दे जाता है
फाँस की चु...आहत होता है मन <br />जब कोई अपना दे जाता है <br />फाँस की चुभन ।<br />............<br />हाँ और वो फाँस <br />इतनी गहरी चुभती है<br />कि कुरेद डालती है <br />बीता वक्त और बीती यादें<br />जिन यादों में भी <br />गहरे जख्म कि सिवा कुछ भी न था<br />उसी जख्म को और कुरेदती है<br />ये फाँसे <br />और अब वो जख्म नासूर बन चुका है<br />इतना बड़ा नासूर कि <br />अब कोई नदी, कोई समुद्र के रास्ते चलना भी<br />भूल जाता है ग्लेशियर बस अब तो <br />वो पिघलकर भरना भी नहीं चाहता<br />सच तो ये है कि वो अब पिघलना भी नहीं चाहता <br />पर क्या करे पिघलना तो उसकी नियति है ना<br />भला नियति के आगे किसी के चली है कभी<br />तो क्या करे बेचारा ग्लेशियर<br />अच्छा कि अब वो मुक्त हो जाये हमेशा के लिए<br />और अपनी पिघलने की नियति को बदल डाले<br />और बन जाये एक ऐसा पत्थर जिस पर कोई असर ही नहीं होता...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-5131360290500531352010-10-14T07:21:23.287+05:302010-10-14T07:21:23.287+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्र...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।</b><br /><i>या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।<br />नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।<br />नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</i><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/10/6-1911-1987.html" rel="nofollow">साहित्यकार-6<br />सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें</a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-43606803670784321752010-10-14T01:08:04.069+05:302010-10-14T01:08:04.069+05:30"जब किसी से
अपनी पीर कहोगे
कुछ तो मिटेगा ता..."जब किसी से <br />अपनी पीर कहोगे <br />कुछ तो मिटेगा ताप <br />फिर इतना नहीं बहोगे"<br /><br />जब किसी से <br />अपनी पीर कहोगे <br />कुछ तो मिटेगा ताप <br />फिर इतना नहीं बहोगे<br /><br />बहुत ही सुन्दर कविता... एकदम सच कहा आपने ... "पीर कहोगे ... तो इतना नहीं बहोगे."... वो कहते हैं न ! ....पीर बांटने से आधी होती है और सुख दुगना ....सुख हो या दुःख बांटें जरूरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-70715618636667008192010-10-13T20:54:55.308+05:302010-10-13T20:54:55.308+05:30लाजवाब किस तरह से मन के भाव उड़ेले हैं .कविता और च...लाजवाब किस तरह से मन के भाव उड़ेले हैं .कविता और चित्रों का सामंजस्य बढ़िया लगारचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-88109400252270362822010-10-13T18:50:07.655+05:302010-10-13T18:50:07.655+05:30aap ne kya pyari tula ki hai .padh ke aanad aaya
...aap ne kya pyari tula ki hai .padh ke aanad aaya <br />अपनी पीर कहोगे<br />कुछ तो मिटेगा ताप<br />फिर इतना नहीं बहोगे<br />तभी बच पाओगे<br />अपनी शीतलता से –<br />आने वाली सदी तक बने रहोगे ।<br />kavita ka itna sunder ant kam hi dekhne ko milta hai<br />aap ko koti koti badhai <br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.com