पथ के साथी

Monday, January 22, 2018

792


मुकद्दमा
-डॉ. कविता भट्ट 

अरे साहेब! 
एक मुकद्दमा तो उस शहर पर भी बनता है
जो हत्यारा है–
 सरसों में प्रेमी आँख-मिचौलियों का 
और उस उस मोबाइल को भी घेरना है कटघरे में  
जो लुटेरा है–
 सरसों सी लिपटती हँसी-ठिठोलियों का 
 हाँ- 
उस एयर कंडीशन की भी रिपोर्ट लिखवानी है
जो अपहरणकर्त्ता है- 
गीत गाती पनिहारन सहेलियों का
और उस मोबाइल को भी सीखचों में धकेलना है
जो डकैत है- 
फुसफुसाते होंठों-चुम्बन-अठखेलियों का 
उस विकास को भी थाने में कुछ घंटे तो बिठाना है
जिसने गला घोंटा
बासंती गेहूं-जौ-सरसों की बालियों का;
लेकिन इनका वकील खुद ही रिश्वत ले बैठा है
फीस इनसे लेता है
और पैरोकार है शहर की गलियों का
ओ साहेब! 
आपकी अदालत में पेशी है इन सबकी 
कुछ तो हिसाब दो -
उन मारी गयी मीठी मटर की फलियों का 
                   _0_

18 comments:

  1. बहुत अच्छा मुकदमा कविताजी । वास्तव में हम विकास केनाम पर प्रकृति से कितने दूर हो गए हैं।

    ReplyDelete
  2. नए तेवर में रची बहुत सुंदर एवं व्यंजनात्मक रचना। हार्दिक बधाई कविता जी । समय पर पोस्ट करने के लिए बहन ज्योत्स्ना शर्मा जी का भी आभार।
    काम्बोज

    ReplyDelete
  3. वाह, कविता जी अलग ही अंदाज़ है कहन का, अच्छा व्यंग्य भी। बधाई।

    ReplyDelete
  4. सुन्दर ,सामयिक सृजन !
    कविता जी को बहुत बधाई !
    इस साहित्य-साधना का मुझे भी एक उपकरण बनाने के लिए
    माँ शारदे को बारम्बार नमन करती हूँ :) नमन आ.काम्बोज भाई जी को भी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार, आदरणीया

      Delete
  5. आज के समय पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है कविता जी...
    बहुत-बहुत बधाई आपको !

    ReplyDelete
  6. सखी ज्योत्स्ना शर्मा जी को भी हार्दिक बधाई !

    ReplyDelete
  7. लाजवाब कहन है कविता जी। बहुत बधाई

    ReplyDelete
  8. लाजवाब कहन है कविता जी बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  9. वाह ! एक अलग अंदाज की रचना पढ़ने का अवसर मिला ..हृदय से बधाई कविता जी ।

    ReplyDelete
  10. एक अलग अंदाज में उत्कृष्ट सृजन ..हार्दिक बधाई कविता जी ।

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर रचना.

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर रचना। इसके लिए आपका आभार

    ReplyDelete