पथ के साथी

Sunday, March 12, 2017

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 फिर फिर याद आती वो गाँव  की होली
कमला निखुर्पा
 



फगुनाई सी भोर नवेली
अलसाई सी दुपहरिया ।
साँझ सलोनी सुरमई -सी
होली के रंग  रँगी रतियाँ  ।
सखियाँ के संग हँसी-ठिठोली
भुला नहीं पाती वो होली।

चुपके से पीछे से आकर
भर-भर हाथ गुलाल लगाती।
सिंदूरी टीका माथे पर
हँसी अबीरी बिखरा जाती।
हठीली ननद भाभी अलबेली  भुला नही पाती वो होली।

जलता अलाव खुले आँगन में
साँझ ढले सब मिलजुल गाते
होली के गीतों के धुन में
मथुरा-गोकुल की सैर कराते।
घुंघुरू सी बजती गाँव की बोली ।
भुला नहीं पाती वो होली ।


ढोलक चंग ढप की थाप पे
ताल बेताल नाचे हुरियार
इंद्रधनुषी परिधान हुए हैं
मुखड़े पे रंगों की बहार ।
झूमे हुरियारों की टोली
भुला नहीं पाती वो होली ।

साड़ी पहन घूँघट में आए।
स्वांग बने काका शर्माए।
रंगों की बौछार में भीगे
ठुमका लगा कमर मटकाए।
देती ताली काकी भोली
भुला नहीं पाती वो होली ।

जाने जहाँ खोई वो होली ।
बहुत याद आती वो होली ।
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19 comments:

  1. फागुन की मनभावन कविता के लिये कमला जी बहुत बधाई ।होली की मुबारकबाद ।
    सनेह विभाओ

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  2. खूबसूरत !!Kamla ji.Congratez

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  3. होली के रंगों संग रची बसी मनभावन सरल रचना हेतु बधाई |

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  4. सरल सी रचना को मिले स्नेह के लिए आभार | आप सभी को रंगोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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  5. बहुत सुंदर रचना,कमला बहिन को हार्दिक बधाई
    होली की भी सहज साहित्य परिवार को शुभ कामनाएं

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  6. जाने जहाँ खोई वो होली ।
    बहुत याद आती वो होली । सचमुच बहुत याद आती वो होली | बधाई सुंदर रचना के लिए |

    शशि पाधा

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  7. कमला चित्र और रचनाएँ दोनों ही बहुत खूबसूरत हार्दिक बधाई आपको
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  8. वाह !! होली के रंग तो हैं ही खूबसूरत साथ में यादों के रंग और भी लाजवाब ।



    ढोलक चंग ढप की थाप पे
    ताल बेताल नाचे हुरियार
    इंद्रधनुषी परिधान हुए हैं
    मुखड़े पे रंगों की बहार ।
    झूमे हुरियारों की टोली
    भुला नहीं पाती वो होली ।

    बहुत अच्छी पंक्तियां।
    बधाई कमला जी

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  9. रंग भरी मीठी यादों से बुनी बहुत खूबसूरत रचना.....होली की ढेरों शुभकामनाएँ कमला जी।

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  10. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (14-03-2017) को

    "मचा है चारों ओर धमाल" (चर्चा अंक-2605)

    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  11. सभी स्नेही मित्रों का हार्दिक आभार
    परम स्नेही काम्बोज भाई का धन्यवाद जिनकी वजह से आप सबका स्नेह मिला

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  12. सभी स्नेही मित्रों का हार्दिक आभार
    परम स्नेही काम्बोज भाई का धन्यवाद जिनकी वजह से आप सबका स्नेह मिला

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  13. बहुत सुंदर कविता! सचमुच! बचपन की होली तो भुलाए नहीं भूलती !
    हार्दिक बधाई कमला जी !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  14. बहुत खूबसूरत रचना.....सचमुच बहुत याद आती वो होली !@!!
    ढेरों शुभकामनाएँ कमला जी!!!

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  15. वाह वाह...कितनी यादें आ गई वापस...बहुत बधाई इस मनोहारी रंग बिरंगी रचना के लिए...|

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  16. Bahut khub likha hai meri badhai..

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  17. बहुत सरस ...खूब शुभकामनाएँ..बधाई !

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