पथ के साथी

Friday, October 16, 2015

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1-ज्योत्स्ना प्रदीप 
राम की चरण पादुकाएँ


मै बनना   चाहूँ तरु ऐसा, जो शीघ्र से ही  सूख जा
फिर उस  लकड़ी से बनें मेरे राम की  चरण पादुकाएँ ।|

 श्री राम  मुझे ही पहने तो, चरणों में मैं दबी रहूँगी
क्या  जाने सुख राम  मेरा, मैं तो  सुखों से लदी रहूँगी

श्रीराम मुझ बिन न रह पाएँगे हर क्षण अपने पास धरे
राजमहल में रहे रामजी या फिर  वन में वास करें ।

जब लेंगें जल- समाधि राम ,सरयू तट मुझे रख जाएँगे
बाट युगों -युगों देखूँगी मैं  ,राम जल से अब आएँगे
-0-
 1-आखर आखर गंध   मेरठ   2002 (सं-रामगोपाल भारतीय लक्ष्मीनारायण वशिष्ठ डॉ महेश दिवाकर से   साभार )
2-       जालंधर दूरदर्शन से प्रसारित

-0-
2-मंजूषा मन
1-जीवन

जीवन!
घड़ी के काँटों सा,
घूमता रहे,
घूमता रहे
एक ही दिशा में,
एक रफ़्तार में,
अनवरत,
छूट नहीं है
कि कह ले थकन,
माथे का पसीना
पौंछ कर झटक सकें,
सुन पाएं राहत के
दो बोल भी,
कुछ नहीं इनके लिए
चलने के सिवा।
अगर कभी
जी में आया
या जी ने चाहा
रुक जाना,
सब कुछ रुक वहीँ,
खत्म हुआ जीवन
घड़ी की तरह ही।
-0-
2-ज़िन्दगी

हर सुबह
मेरे दरवाजे पे
आ खड़ी होती है,
हौले से
कुण्डी खड़काती है
जाने किस उम्मीद से
ज़िन्दगी।

मैं हर बार
मुश्कुरा कर
खोल देती हूँ दरवाजा।
और मेरे साथ
हो लेती है ज़िन्दगी,
दिन भर रहती है
मेरे साथ
जीती है पूरा दिन।
पता नहीं सारा दिन
वो मुझे सहारा देती है
या मैं उसे।

पर शाम ढ़ले तक
थक -हार कर
या शायद
कुछ न पाकर
टूटी उम्मीद ले
उदास हो विदा लेती है
ज़िन्दगी।

अगली सुबह
फिर नई उम्मीद
नई आशा के साथ
मेरा दरवाज़ा
टखटाती है
ज़िन्दगी।
-0-

28 comments:

  1. बहुत ही सुंदर भाव ज्योत्सना जी, बधाई!

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  2. मंजूषा जी ज़िंदगी से मुलाकात का सुंदर वर्णन, बधाई

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  3. Sundar rachna bahut bahut badhai...

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  4. सुन्दर रचनाएँ!
    ज्योत्स्ना जी, मञ्जूषा जी शुभकामनाएँ !

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  5. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण रचनाएँ। हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी, मंजूषा जी।

    सादर
    अनिता ललित

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  6. ज्योत्सना जी चरण पादुकाएं उम्दा भाव!!

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  7. जिंदगी रूक जरा दो बातें कर ले हमसे
    हम तेरे गुनाहगार नहीं हैं....पूर्णिमा

    मंजूषा जी जिन्दगी पर विचार उम्दा बधाई!!

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  8. जिंदगी रूक जरा दो बातें कर ले हमसे
    हम तेरे गुनाहगार नहीं हैं....पूर्णिमा

    मंजूषा जी जिन्दगी पर विचार उम्दा बधाई!!

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  9. ज्योत्स्ना प्रदीप जी चरण पादुकाएँ बहुत अच्छी लगी। शुभकामनाएँ।

    मंजूषा आपकी दोनों कविताएँ भावपूर्ण लगी। शुभकामनाएँ।

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  10. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचनाएँ !
    ज्योत्स्ना जी ,मंजूषा जी बहुत-बहुत बधाई ,शुभकामनाएँ !

    jyotsna sharma

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  11. बहुत सुन्दर रचनाएँ !
    ज्योत्स्ना जी ,मंजूषा जी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

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  12. ज्योत्स्ना जी वा मञ्जूषा जी दोनों की रचनाएँ बहुत सुंदर हैं दोनों को बधाई |
    पुष्पा मेहरा

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  13. भक्ति भाव से परिपूर्ण ज्योत्सना जी की रचना के लिए उनको हार्दिक बधाई...|
    मंजूषा जी...बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|

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  14. भावपूर्ण रचनाएँ। ज्योत्स्नाजी ,मंजुषाजी बधाई।

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  15. उम्दा रचना

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  16. ज्योत्सनाजी
    राम की चरण पादुकाएँ रचना अति सुंदर ...बहुत बहुत बधाई!
    उषा बधवार

    मञ्जूषाजी
    आप की रचनाये ज़िन्दगी और जीवन दोनो को बहुत सुंदर ढंग से
    दर्शाया...बहुत बहुत बधाई

    आप दोनो ऐसे ही लिखते रहो, और हमे पढ़ने का मौका मिले!

    उषा बधवार

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  17. बहुत सुन्दर रचनाएँ....ज्योत्स्ना जी, मंजूषा जी बधाई।

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  18. tahe dil se abhaar himanshu ji ka jinhonen meri rachna ko yahan sthaan diya saath hi aap sabhi gunijanon ka ...aapke dvara prapt protsahan ki ye nidhi mere liye badi anmool hai .

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  19. bahut dhyan se padha maine in rachnao ko bahut achhi bhi lagi tippani bhi ki "jindagi" men bahut gahare bhav hain payar hai "jeevan" ya jindagi bahut sahi kaha..राम की चरण पादुकाएँ men jo samrpan hai bahut achha laga fir se teenon rachnaye padh dali or eak tippni or rachnakaron ke name shubhkamnaon sahit...

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  20. अगली सुबह
    फिर नई उम्मीद
    नई आशा के साथ
    मेरा दरवाज़ा
    खटखटाती है
    ज़िन्दगी।
    dnon ashaavdi jivan ki sarthk rchnaaen .

    मै बनना चाहूँ तरु ऐसा, जो शीघ्र से ही सूख जाए
    फिर उस लकड़ी से बनें मेरे राम की चरण पादुकाएँ ।|


    tru ki raamay klpnaa ne raammay kr diyaa .

    ज्योत्स्नाजी ,मंजुषाजी बधाई।

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  21. jyotsnaa jee evam Manjusha jee
    Adbhut rachnayen

    Badhai evam shubhkamna

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  22. आप सभी का बहुत बहुत आभार कविता पसन्द करने के लिए और हौसला बढ़ने के लिए।

    आशा है ये साथ सदैव बना रहेगा। आभार

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  23. ज़िन्दगी बहुत पसंद आई । अन्य रचनाएँ भी सुंदर। बधाई ज्योत्स्ना जी एवम् मंजूषा जी !

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  24. ज़िन्दगी बहुत पसंद आई । अन्य रचनाएँ भी सुंदर। बधाई ज्योत्स्ना जी एवम् मंजूषा जी !

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  25. manjusha ji ..zindgi bahut pasand aai.....badhai aapko dil se !
    bhawna ji manju ji ,kavita ji ,sushila ji ka hridy se abhaar !

    bhawna ji aapne hamari rachnayen punh padhkar punh hamara hausla badhaya hai ... dil se abhaar !
















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  26. ज्योत्सना जी राम की चरण पादुकाएं बनने की वट की चाह बहुत खूबसूरत भाव हैं |मंजूषा जी आपने भी जीवन की अनवरत दौड़ और ज़िंदगी का हर सुबह दरवाज़े पर दस्तक देने के सुन्दर भाव अपनी कविता में दर्शाए हैं |आप दोनों को हार्दिक बधाई |

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